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A citizen of a new big country Azad Hind Desh (India + Pakistan + Bangladesh).

Sunday, March 15, 2015

मैं "आप" का कार्यकर्ता बोल रहा हूँ …

जी हाँ ! मैं "आप" का कार्यकर्ता बोल रहा हूँ …

    मैंने फेसबुक से 6 माह की छुट्टी लेने की घोषणा की थी परन्तु कार्यकर्ताओं की दुहाई देकर बयान दिए जा रहे हैं इसलिए एक कार्यकर्ता होने के नाते अपना विचार फिर से रखना मेरा कर्तव्य हो जाता है।

    जैसा की हमारे मित्र जानते हैं, मैं बाबा रामदेव के भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन का भी हिस्सा था और अन्ना आन्दोलन का भी। इन दोनों के दिल्ली के रामलीला मैदान के आन्दोलन में भी भाग ले चुका हूँ और अपने जिले में भी कई धरना और अनशन कार्यक्रम आयोजित कर चुका हूँ। हमारा कोई राजनितिक उद्देश्य नहीं था, कोई गुप्त एजेंडा नहीं था। पर जब आन्दोलन के क्रम में राजनेता हमें चुनाव की  चुनौती देने लगे तो एक अस्थाई राजनीतिक दल की स्थापना का सुझाव दिल्ली में "इंडिया अगेन्सट करपरशन" की एक बैठक में मैनें खुद दी थी परन्तु तब इस पर कोई सहमति नहीं बन पायी थी। आगे चल कर पार्टी बनाने का निर्णय हुआ और कुछ दिनों बाद नामकरण "आम आदमी पार्टी" रखा गया।

        मिट्ठू भाईयों का संच और "ओछी राजनीति"
         …………………………………………………………………………………


    "आप" PAC से निकाले जाने के बाद योगेन्द्र जी टी॰वी॰ चैनलों पर इंटरव्यू  देते चल रहे थे की वो तो सिर्फ 2 सालों से राजनीति में हैं।  एक तरह से वे यह साबित करना चाह रहे थे कि वे "आप" में आकर राजनीति शास्त्र के किताब से इतर ओछी और गंदी राजनीति सिखे हैं। अपने को बहुत ही भोला - भाला और भलमानस दिखाने की कोशिश करते रहे। वे आंतरिक लोकतांत्रिक मुल्यों की भी बात करते देखे गए।

    सच: - योगेंद्र जी 1983 से राजनीति में हैं तब वे "समता युवा जन सभा" जो की किशन पटनायक जी की पार्टी "समता संगठन" की छात्र संगठन ईकाई थी, के सदस्य थे। बाद में 1995 में यह पार्टी "समाजवादी जन परिषद" (सजप) बनी तब भी वे पहले दिन से ही इसके सदस्य और प्रमुख नीति निर्धारक थे।

    जनाब अपने को चाणक्य कहलाने का शौक रखते हैं पर जब वे इतने काबिल थे तो "समाजवादी जन परिषद" में रहते हुए एक भी विधायक क्यों नहीं बना पाए। यह तथ्य उनके चाणक्य कहवाने को चुनौती देने के लिए काफी है। वे समाजवादी जन परिषद की नीतियों का बखान यहाँ भी करते हैं, पर वक्तव्य और व्यवहार, नीति और नियत में काफी फ़र्क है। 

    आन्दोलन के क्रम में वे "इंडिया अगेन्सट करपरशन" के संगठन से दूर थे क्योंकी मंच से नेताओं पर जमकर वार किया जाता था और वे भी एक नेता थे। भाषण के लिए वे आते थे जैसा की उन्होंने उपरोक्त  इंटरव्यू  में बताया भी है। उनकी आन्दोलन पर पैनी निगाह थी। जब उनको लगा की यह आन्दोलन राजनीतिक दल में परिणत होने वाली है तब उनकी सक्रियता बढ़ गई। इनके दल के कुछ लोग जो इनके करीब थे वे भी आन्दोलन में मेरे यहाँ भी आते थे। इससे यह साबित होता है की पूरी योजनाबद्ध तरीके से ये और इनकी पार्टी में इनके करीबी लोग आन्दोलन पर गिद्ध दृष्टि लगाए हुए थे। पार्टी बनने के बाद उनके एक खास साथी ने मुझे बताया था की योगेंद्र जी को पार्टी में आने की सलाह उन्होंने दी थी। पार्टी की घोषणा होने के बाद "सजप" के कई लोग मुझसे मिलने आने लगे जब मैनें उनके बारे में जानकारी हासिल करनी शुरु की तो पता चला की इनकी जनता में इमेज पहले से ही खराब हैं। इसके बाद मैनें आंदोलन के केंद्रीय वरिष्ठ साथियों को एस॰एम॰एस॰ किया की "किसी भी दल के व्यक्ति को व्यक्तिगत आधार पर पार्टी में लिया जाए पुरे दल को नहीं।"  जिस दिन पार्टी का औपचारिक गठन हो रहा था उस दिन तथाकथित समाजवादी दिल्ली पहुँच गए थे, और सारे नेशनल कौंसिल के मेंबर और फाउन्डर मेंबर कहलाते हैं। हमारे जिले से भी "समाजवादी जन परिषद" के एक नेता नेशनल कौंसिल के मेंबर अपने को बताते चलते हैं पर पार्टी के स्थानीय आन्दोलनों, कार्यक्रमों और बैठकों में भाग नहीं लेते। आंदोलन के साथी पेशेवर राजनीतिज्ञ नहीं थे, उनको किनारे लगाने का काम इनलोगों ने शुरू कर दिया। इनके लोग उपलब्ध थे और वे जिला कमिटियों के गठन के लिए पर्वेक्षक भी बनाए गए। जिस लोकतंत्र की दुहाई ये लोग दे रहे हैं उसी लोकतंत्र की धज्जी उड़ाते हुए पार्टी के पद - पोस्ट पर अपने लोगों को बैठाना शुरू कर दिया गया। मेरे रोहतास जिले में आए पर्वेक्षक भी मन बनाकर आए थे की संयोजक "समाजवादी जन परिषद" का ही बनाना हैं। राजनीतिक चाल में माहिर वे लोग गठन के दिन संख्या बल के लिए अपने दल के कई लोगों को बुलाए हुए थे। आन्दोलन के कई साथी उनके वर्चस्व को देखकर चले गए थे। मैनें समझाने की कोशिश की पर वे धौर्य नहीं रख सके। अलोकतांत्रिक तरीके से कमिटि में 90 % तथाकथित समाजवादियों का नाम लिख कर मेरी राय जानने के लिए मेरे पास लाया गया था। मैने पार्टी कार्यकारणी का पार्टी पद लेने से मना कर दिया था और एक कार्यकर्ता के रूप में ही काम करने का निश्चय सुना दिया था। मेरी राय लेना उनकी मजबूरी थी क्योंकी आन्दोलन के समय से स्थानीय लोग स्थानीय अन्ना मुझे ही जानते हैं। मैनें एक समाधान दिया की 3 सदस्य योगेन्द्र जी की पार्टी "समाजवादी जन परिषद" से  3 "इंडिया अगेन्सट करपरशन" से तो अन्य 4 समाज में सक्रिय अन्य लोगों को कार्यकारणी में रखा जाए। तथाकथित लोकतांत्रिक तरीका न तो उनका था न ही मेरा। संयोजक पर्वेक्षक ने ही तय कर दिए जो उनकी पार्टी से ही थे। हमारे जिला के बगल में कैमूर जिला है, जिसके पर्वेक्षक भी वही व्यक्ति थे और वहाँ भी उन्होंने अपने खास लोगों को कमिटि में मुख्य पद दिया। संयोजक का नाम वे यहाँ भी पहले से तय करके आए थे।

    मैं हर पार्टी के अच्छे लोगों का स्वागत करता हूँ। उनकी पार्टी के एक व्यक्ति ने मेरे यहाँ आन्दोलन में अच्छा काम किया था, पर वे नहीं आए, पुरानी पार्टी के लोगों का विश्वास तोड़ना उन्हें अच्छा नहीं लगा। ऐसे लोगों से मैं कहता हूँ की देश दल से बड़ा है पर वे देशहित छोड़ देते हैं, दल और पद का मोह नहीं छोड़ पाते। अपने लोकतंत्र की यह एक लोकतांत्रिक बिमारी है। जिन लोगों को नहीं आना चाहिए वे अवसरवादी चले आते हैं। अर्थात योगेंद्र यादव जी और उनके कुनबे का मकसद धिरे धिरे "आप" पर कब्जा करने का था, और कई जगह वे पद पोस्ट कब्जा करने में सफल हो भी गए हैं । खासकर बिहार में उन्होंने अपने नजदीकी श्री अजित झा जी को पर्वेक्षक बना कर भेजा था। वे पर्वेक्षक न रहकर मालिक हो गए और सब जगह अलोकतांत्रिक तरीके से अपने लोगों को काबिज कराते गए। बिहार के चुनाव कम्पेन कमिटि के संयोजक श्री शोमनाथ त्रिपाठी जी उनके खास आदमी  थे, जिन्हें मैं इतना पूराना कार्यकर्ता और लोकसभा उम्मीदवार होने के बावज़ूद पहचानता तक नहीं हूँ। मेरा कोई परिचय अभी तक उनसे नहीं हुआ है। ऐसे लोग कार्यकर्ता और लोकतंत्र की दुहाई दे रहे हैं। मुझे टिकट नहीं मिले इसके लिए इनके गूट ने पूरी कोशिश की बाद में मेरे बारे में अपराध से संबंधित गलत सूचना को भी प्लांट होने दिया जिसके कारण अनजाने में मनीष जी को टिकट वापस लेने की घोषणा करनी पड़ी थी जो मेरे आन्दोलन की सच्चाई जानने के बाद नहीं लिया गया।  परन्तु मेरे चुनाव पर इसका बहुत बूरा प्रभाव पड़ा। बिहार के पर्वेक्षक और पदाधिकारियों ने जानबूझकर पूर्वाग्रह के कारण सही समय पर सही सूचना केन्द्रीय पदाधिकारियों तक नहीं पहुँचाई।

     जाहिर हैं हम आंदोलनकारी थे हमें राजनीति नहीं आती थी । हम सोचते थे ये लोग हमें राजनीति में अपने अनुभव का लाभ दिलाएँगे पर हमें यह नहीं पता था की ये ओछी राजनीति हमीं पर आजमएंगे। ये लोग आम आदमी पार्टी में रह कर भी "आप" के नहीं हो सके, ये "आप" के अन्दर समानांतर "समाजवादी जन परिषद" भी चलाते रहें । योगेन्द्र जी ने "सजप" के अपने कर्मठ साथी के साथ भी धोखाधड़ी की वे खुद पार्टी छोड़कर ही नहीं आए बल्कि संभवतः 90 % नेताओं को भी तोड़-फोड़ कर ले आए ताकि अपनी संख्या बल से "आप" पर कब्जा जमा सकें और अपना स्वार्थ सिद्ध कर सकें। उनकी पार्टी के नेता ले॰ सुनिल की आदिवासियों के बीच रहकर जीवन भर की गयी तपस्या को इन्होंने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए लूट लिया। अप्रैल 2014 में संभवतः इसी सदमें के कारण ले॰ सुनिल का ब्रेन हेमरेज कर गया और अधूरे सपनों के साथ वे दुनियाँ से विदा हो गए। "समाजवादी जन परिषद" से संबंधित फेसबुक पेज और वेबसाइटें देखकर उसकी दयनीय दुर्दशा का अंदाजा लगाया जा सकता है। PAC से निकाले जाने के बाद योगेंद्र जी ने कहा था की " न छोड़ेंगे, न तोड़ेंगे, सुधरेंगे और सुधारेंगे "। उनका यह वक्तव्य मुझे बहुत अच्छा लगा था। पर जब मैनें उनकी पिछली पार्टी के साथ किए गए बर्ताव की जाँच की तो पाया की इन्होंने एक पार्टी छोड़ा भी है और उसे बुरी तरह तोड़ा भी है। टी॰वी॰ और अखबारों में उनके ब्यानों से स्पष्ट होता है कि वे सुधरने वाले भी नहीं हैं। अरविंद जी पार्टी कमिटियों को सुधार कर पुनर्गठन करना चाह रहे थे तो इन्होंने विरोध किया अर्थात ये दूसरों को सुधारने देना भी नहीं चाहते।

    एक वाकया पटना की है जिस दिन मिशन विस्तार की पहली मिटिंग थी उसी दिन योगेंद्र जी किशन पटनायक जी की जयंती या पुण्यतिथि पटना में ही मना रहे थे जो पार्टी का कार्यक्रम नहीं था । पर्वेक्षक की टीम आकर बैठी हुई थी और पार्टी के पदाधिकारी लोग उस कार्यक्रम में थे। पर्वेक्षकों में से एक श्री आनंद कुमार जी की ट्रेन लेट बताई जा रही थी। अब तो उसमें भी हमें चाल नजर आती है। उन्हें जानबूझकर देर से आने के लिए कहा गया हो सकता हो।

    "आप" में सामिल "सजप" के लोग अकसर व्यक्तिवाद की आलोचना करते रहते हैं। सीधे - सीधे अरविन्द पर वार करने की हिम्मत नहीं होने के कारण तथाकथित समाजवादी लोग कुटिल थोथा और खोखला सिद्धान्त का सहारा लेते हैं जिसका अनुपालन वे खुद नहीं करते। मेरे पास सवारी के नाम पर साइकिल है जिसमें अरविंद जी का फोटो लगा  "आप" का झंडा स्थाई रूप से लगा हुआ है, जिसपर "सजप" से "आप" में आए एक व्यक्ति का कहना है की मैं व्यक्तिवाद को बढ़ावा दे रहा हूँ। "आप" में आए "सजप" के लोग अपने बैनर, पोस्टर, पंपलेट और विजिटिंग कार्ड में एक तरफ अरविन्द का फोटो लगाते हैं तो दूसरी तरफ योगेन्द्र का। उनके हिसाब से अरबिन्द का फोटो लगाना व्यक्तिवाद है और योगेन्द्र का फोटो लगना समाजवाद। इनका सोंच कितना खोखला, दोगला और हास्यास्पद है यह इस एक उदाहरण से समझा जा सकता है।

    दिल्ली चुनाव में मैंने एक कार्यकर्ता के रूप में दोनों विधान सभा चुनावों में भाग लिया था। इस बार 11-01-2015 को मेंनें पार्टी केन्द्रीय कार्यालय को रिपोर्ट कर दिया था। 12 और 13 जनवरी को केन्द्रीय कार्यकर्ता टीम के साथ विभिऩ्न मेट्रो स्टेशनों के पास पर्चे बाँटने का काम किया। मैंने अपने लिए कोई खास विधानसभा में काम करने के लिए कोई आग्रह नहीं किया था। मैनें पार्टी कार्यालय में बता दिया था कि मुझे किसी भी विधानसभा में भेजा जा सकता है। इस दौरान तिमारपुर विधानसभा में काम कर रहे श्री अभिषेक गुप्ता जी जो बिहार के लिए सह-पर्वेक्षक भी बनाए गए हैं, ने फोन कर तिमारपुर विधानसभा में आने का आग्रह किया और कार्यालय से भी उन्होंने बात की। मुझे कहीं भी काम करना था इसलिए मैं तिमारपुर चला गया। एक - दो दिन काम करने पर पता चला कि "आप" के अंदर परदे के पीछे चल रहे योगेन्द्र गुट के ही विधायक पहले जीते थे पर जनता का काम ठीक से उन्होंने नहीं किया था, इसलिए उन्हें बदलना पड़ा था। इस बार भी अलोकतांत्रिक तरीके से ही योगेन्द्र जी ने तथाकथित समाजवादी गुट से ही उम्मीदवार अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर खड़ा कराया था। जहाँ भी मैं जाता था लोग स्थानीय पुर्व विधायक की शिकायत करते थे। पुर्व स्थानीय कार्यकर्ता में भी बहुत सारे नराज थे। पर केजरीवाल का नाम और काम, उम्मीदवार, बाहरी और स्थानीय कार्यकर्ताओं का सम्मिलित जीतोड़ मेहनत रंग लाई और और हम चुनाव जीत गए। उस विधानसभा क्षेत्र में "सजप" के पुर्व नेताओं और कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगा था। अंतरंग बातचीत में अरविंद के प्रति उनके गलत सोंच सामने आते थे। चुनाव जितने के बाद विधायक जी को मंत्री बनवाने के लिए भी पैरवी की बात चली थी। चुनाव प्रचार में उम्मीदवार और खुद योगेंद्र जी भी अरबिंद केजरीवाल का नाम खूब भूनाते थे। जिस प्रकार मोदी जी लोकसभा चुनाव में मंच से बोलते थे "अच्चे दिन" तो जनता बोलती थी "आएँगे"। वैसे ही योगेन्द्र जी बोलते थे "पाँच साल" जनता बोलती थी "केजरीवाल"। वे जानते थे कि जो भी वोट मिलना है वह केजरीवाल के ही नाम पर मिलना है। दिल में केजरीवाल नहीं होने पर भी राजनीतिक स्वार्थ के लिए मुँह से केजरीवाल ये लोग जरूर बोलते थे। दलीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में नंबर का खेल हमें ऐसे ढोंगी लोगों के साथ भी मेल रखने को मजबूर करता है और इसी मजबूरी में पार्टी का नंबर बढाने के लिए मैंने पूरी ताकत से एक सामान्य कार्यकर्ता की तरह वहाँ काम किया। प्रशान्त भूषण जी अघोषित रूप से प्रचार का बहिष्कार कर रहे थे पर चुनाव प्रचार में वे तिमारपुर विधानसभा में सभा करने गए थे। वर्तमान प्रकरण में योगेंद्र जी और प्रशान्त जी का सांठ-ग़ांठ सामने आने के बाद यह स्पष्ट हो गया की वे पहले से ही अलग खिचडी पका रहे थे।     

    योगेन्द्र जी और प्रशान्त भूषण जी ने जो संयुक्त पत्र जारी किया है उसमें कार्याकर्ताओं का मनोवैज्ञानिक शोषण करने के लिए घडियाली शुभचिन्तक बनने की कोशिश की है। आन्दोलन के समय ही हम सभी भ्रष्टाचार के नए नए खुलासे कर रहे थे। उसी क्रम में 2012 में जब पार्टी का अस्तित्व भी नहीं था मैंने भी अपने यहाँ पावर ग़्रिड और उसके ठिकेदार के भ्रष्टाचार का एक मामला पकड़ा था। सब जगह सिकायत और आन्दोलन करने के बावजूद आजतक वे बचे हुए हैं । उलटा मुझे ही आपराधिक मामलों में फसा दिया गया। सारे मामले को सबूत के साथ उस समय मैनें प्रशान्त जी को ईमेल कर मैसेज भी किया था। पर कार्यकर्ताओं के हितों की बात करने वाले प्रशान्त जी ने मेरी कोई कानूनी मदद नहीं की। चुनाव में मेरे खिलाफ पेड न्यूज और चुनाव आयोग के पक्षपात का भी मामला बना था। इस पर भी प्रशान्त जी ने मेरी मदद नहीं की। 2014 में भी सड़क कंपनी और एन॰एच॰ए॰आई॰ के साथ सांठ-गांठ कर की जा रही लूट के खिलाफ आवेदन देकर आन्दोलन कर रहा था तब भी मेरे और पार्टी के अन्य स्थानीय साथियों पर झूठा मुकदमा दायर कराया गया। इससे संबंधित सभी प्रमाण सहित अभी के चुनाव के बाद भी मैं उनसे व्यक्तिगत रूप से उनके सुप्रीम कोर्ट के चेंबर में मिला था, यहाँ भी मेरे आवेदन को एक जूनियर को दिलवा कर मुझे बहला गए। वकालत उनका पेशा है और मेरा काम करने के लिए वे बाध्य नहीं है परन्तु कार्यकर्ताओं की जब वे मदद नहीं कर सकते तो शुभचिन्तक होने का दिखावा और लच्छेदार लुभावने बात भी न करें। 

    प्रशांत जी और योगेन्द्र जी लोकतांत्रिक मूल्यों, जनमत संग्रहों, सत्ता के विकेन्द्रीकरण आदि के सचमुच हिमायती हैं तो "वर्तमान परिस्थिति में उन्हें दल में रखा जाए या बाहर किया जाए" पर दिल्ली में जनमत संग्रह कराकर दिखाएं। यह एक कार्यकर्ता की उनके लिए चुनौती हैं। मैं यह नहीं कहता की आन्दोलन और पार्टी को अबतक जितने लोग छोड़कर गए हैं उनका आन्दोलन और पार्टी में योगदान नहीं था या नहीं है, पर उस योगदान के पीछे की नियत ठीक नहीं थी। जैसे जो लोग "भाजपा" में चले गए वे कहें की वे सच्चे मन से आंदोलन या पार्टी के मुद्दों से जुड़े थे तो, यह उनका ढोग था अब किसी को बताने की जरूरत नहीं। हाँ, जो लोग किसी दल या आवाम जैस छलक्षद्म वाले संगठन में  प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से नहीं गए उनकी नाराजगी विचारणीय है। कुछ लोग मेरे इस नोट के आधार पर मोदी भक्त की तरह केजरीवाल भक्त की संज्ञा देना चाहेंगे पर मेरे फेसबुक नोट में ही 2 पुराने नोट "आत्ममंथन" शीर्षक नाम से पड़े हुए हैं जिसमें से एक बाबा रामदेव के विषय पर थे और दूसरा शिवेंद्र सिंह चौहान के प्रकरण पर है, जिसे हमनें उस समय की परिस्थिति के अनुसार अरविन्द भाई की आलोचना में लिखे थे और उन्हें भी ईमेल किया था। पर कालांतर में अरविंद भाई का निर्णय सही साबित हुआ और मेरी आलोचना गलत। इस वक्त भी कई साथियों को अरविंद भाई का निर्णय गलत लगे पर भविष्य में वह सही साबित हो जाएगा, ऐसा मैं अपने अनुभव से लिख रहा हूँ।

    अभी भी बहुत सारी बात और राज लिखने बाकी हैं पर यह नोट पहले ही काफी लम्बा हो चुका है। सभी साथी चिंतन-मनन करें जनता की राय लें और "आप" में सुचिता, पवित्रता और तत्परता लाने के लिए त्वरित निर्णय एवं कठोर कार्यवाई की माँग राष्ट्रीय संयोजक के समक्ष रखें। "मिशन विस्तार" के तहत "आप" में अच्छे और सच्चे लोगों को जोड़ने का सिलसिला जारी रखें। गलती से कोई गलत आ भी जाए तो चिन्ता न करें । इस पार्टी को परवरदिगार परमेश्वर चला रहे हैं, हम सब को तो सिर्फ माध्यम होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। गलत नियत वालों को ईश्वर बेनकाब करते रहेंगे और वे जाते रहेंगे, सच्चे नियत वाला ही टिका रह पाएगा। 

जय हिन्द!
"आप" का स्वयंसेवक (कार्यकर्ता)
ग़ुलाम कुन्दनम् ।
9931018391.

Thursday, August 7, 2014

AAP remembering it's brave heart "Santosh Koli"



याद आयी फ़िर अपनी संतोष बहना,

उनकी बहादुरी का यारो क्या कहना ।

Wednesday, June 29, 2011

भारत दल / India Party / ہند جماعت


Join a new temporary political party for democratic reform in India.

भारत दल / India Party / ہند جماعت

सदस्यता पात्रता एवं सपथ :-
१. भारत का नागरिक हो.
२. जन प्रतिनिधि के लिए शैक्षणिक योग्यता गरीबी रेखा वाले सदस्य की इंटर तथा गरीबी रेखा के ऊपर के लोगों के लिए स्नातक होगी. (परन्तु सदस्य किसी आयु वर्ग का कोई भी अशिक्षित या शैक्षणिक योग्यता वाले हो सकते हैं.)
३. किसी तरह के नशा का सेवन नहीं करता हो.
(जो किसी प्रकार का नशा करते हो वे नशा मुक्त होने हेतु मुफ्त दूरभास संख्या १८००-३४५-१८४९ पर संपर्क कर इलाज कराएं तथा पुर्णतः नशा मुक्त होने पर ही सदस्यता के लिए आवेदन करें. )
४. जो संसद जा कर सभी दलों सहित अपने दल को भी भंग करने का विधेयक पास करने का सपथ लेते हैं. क्योकि विविधता वाले अपने देश के लिए दलीय लोकतंत्र सफल नहीं है और यह देश में नफरत और भेद ही बढाता है.
५. जन प्रतिनिधि के चयन से पूर्व उमीदवारों के चयन में भी जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने वाले क़ानून बनाने का सपथ लेते हों.
६. चुने हुए जनप्रतिनिधि में से कोई भ्रष्ट आचरण करता है, तो उसे जनता द्वारा वापस बुलाने का अधिकार देने वाला कानून बनाने का सपथ लेते हों.
७. जो संसद जाकर अपना वेतन और भत्ता चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के अनुसार लेने का विधेयक पास करने का सपथ लेते हैं.
८. सुविधाए भी न्यूनतम लेने का सपथ लेते हों.
९. जो राजनीती को लाभ रहित तथा भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए जन लोकपाल के आलावा और भी कड़े क़ानून खुद के लेन-देन पर निगरानी के लिए बनाने का सपथ लेते हों.
१०. जो संप्रदाय, जाती, भाषा, क्षेत्र आदि के आधार पर किसी तरह का भेद-भाव नहीं रखते हों और सभी धर्मों का आदर करते हों.
११. देश से गरीबी मिटाने के लिए ठोस कदम उठाने और परिणाम भी देने तथा गरीबी उन्मूलन कोष की स्थापना का वचन देते हों.
१२. सभी को उंच्च शिक्षा और सामान शिक्षा सुविधा दिलाने का हर संभव उपाय करने का वचन देते हों .
१३. जो राजनीती से सेवानिवृति का उम्र ७२ वर्ष निश्चित करने का कानून बनाने का सपथ लेते हों.
१४. जो सांसद / विधायक बनने का अधिकतम दो कार्यकाल निश्चित करने का कानून बनाने का सपथ लेते हों.
१५. जो एक से अधिक क्षेत्रों से चुनाव लड़ने पर रोक लगाने को तैयार हों.
१६. जिसके दो या दो से कम संतान होंगे उसे ही चुनाव लड़ने का अधिकार होगा ऐसे क़ानून बनाने के लिए सपथ लेते हों.
१७. सांसद / विधयक मद को समाप्त करने तथा सभी योजनायें देश के शहीदों के नाम पर चलाने का वचन देते हों.
१८. जो देश का पैसा वापस लाने के लिए सारे संभव उपाय करने का वचन देते हों और न ला पाने पर राजनीती से संन्यास लेने का वचन देते हों.
१९. राज्यपाल का पद जनता के ऊपर अतिरिक्त बोझ है, अतः इसे समाप्त कर उनके कार्यों का उतरदायित्व राज्यों के मुख्य न्यायधीश और मुख्य चुनाव आयुक्त के बिच बाँट दिए जाएँ ऐसा कानून लाने का वचन देते हों.
२०. खेलों के संगठनों में पूर्व खिलाड़ी ही पदाधिकारी होंगे, राजनितिक व्यक्ति को रोकने का कानून बनाने का वचन देते हों.
२१ . विकास कोष का ७५ % वितरण देश के हर क्षेत्र में सामान रूप से हो तथा शेष २५% कम विकशित क्षेत्रों में अतिरिक्त खर्च किया जाये ऐसा सुनिश्चित करने का वचन देते हों.
२२. किसी भी सरकारी संस्था के पदों पर राजनीतिज्ञों का नहीं बल्कि अपनी सम्पति की घोषणा कर चुके साफ़ छवि के पूर्व न्याधिशों और गैर राजनितिक समाजसेवियों को चुनने का क़ानून बनाने का वचन देते हों.
२३. सभी प्रतिनिधियों को भारतीय संविधान, संस्कृति, भाषा, धर्म आदि की शिक्षा की पहले वर्ष व्यवस्था करने और दुसरे वर्ष परीक्षा आयोजित करने तथा न्यूनतम अंक न प्राप्त करने वालों को अयोग्य करार देने वाले क़ानून बनाने का वचन देते हों.
२४. सुचना के अधिकार के इस्तेमाल की जरूरत ही न हो, इसके लिए सारा कुछ ऑनलाइन उपलब्ध कराने का वचन देते हों.
२५. हड़ताल और बंद से देश को काफी नुक्सान होता है, अतः इस पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने वाला क़ानून बनाने तथा साथ ही उचित मांगों पर सुनवाई के लिए समुचित न्यायिक व्यवस्था करने का क़ानून बनाने का वचन देते हों.
२६. पुलिश के हाथ को डंडा से मुक्त करने और नागरिकों से मित्रवत और सेवाभाव से व्यवहार करने, उनके व्यवहार की जांच करने वाली उनके ऊपर भी कोई संस्था बंनाने के लिए अंग्रेजों के जामने से चली आ रही व्यवस्था को भारतीयता के अनुकूल बनाने के लिए समुचित कानूनी सुधार करने का वचन देते हों.
२७. राज्यों का भौगोलिक और आर्थिक संतुलन के आधार पर पुनर्गठन करने का वचन देते हों.
२८. जनता से अन्य सुधारों और सुझावों के लिए ठोस माध्यम और संस्था की स्थापना का वचन देते हों.

इस दल में कोई अध्यक्ष नहीं होगा , सभी स्वयंसेवक होंगे और संचालन हेतु स्वयंसेवक समूह गठित होंगे । और भी सुझाव देश के सभी नागरिकों से आमंत्रित हैं .

Thursday, June 23, 2011

सत्याग्रहियों की उपेक्षा के खिलाफ और सभी सत्याग्रहियों की मांगों के समर्थन में हर की पौड़ी पर एक दिन का निर्जल उपवास के सम्बन्ध में!


सेवा में,

जिलाधिकारी महोदय,

हरिद्वार, उत्तराखंड.

विषय :- सत्याग्रहियों की उपेक्षा के खिलाफ और सभी सत्याग्रहियों की मांगों के समर्थन में हर की पौड़ी पर एक दिन का निर्जल उपवास के सम्बन्ध में!

महाशय,

नम्र निवेदन यह है की केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा सत्याग्रहियों के गांधीवादी अहिंसक आंदोलनों की उपेक्षा और उत्पीडन मानवीय मूल्यों का दमन और मानवाधिकारों का हनन है. यह हमारे वर्तमान नेताओं की संज्ञाशुन्यता और निष्ठुरता दर्शाती है. जिन सत्याग्रहियों के साथ जन समूह नहीं होता उनकी घोर उपेक्षा की जाती है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.

मैं केंद्र और राज्य सरकारों से निम्न मांगों के समर्थन में एक दिन का निर्जल उपवास २३-०६-२०११ को पवित्र हर की पौड़ी पर देश हित में प्रार्थना करते हुए अकेले रखूँगा, जो पुर्णतः शांतिपूर्ण और मर्यादित होगा :-

१. स्वामी निगमानंद की पर्यावरण सरक्षण हेतु मांगी गयी मांगे तत्काल मानी जाये.

२. पर्यावरण संरक्षण और प्रदुषण नियंत्रण के सारे उपायों और नियमों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाये.

२. इरोम शर्मिला की सशस्त्र बल विशेषाधिकार क़ानून को हटाए जाने की मांग भी मानवीय आधार पर मानी जानी चाहिए.

३. रामलीला मैदान, नई दिल्ली में सोनिया सरकार द्वारा कराई गयी पुलिस बर्बरता और मानवाधिकारों के उलंघन की जाँच कराई जाये.

४. देश का पैसा वापस लाकर "गरीबी उन्मूलन कोष" की स्थापना की जाये.

५ . संयुक्त राष्ट्र की भ्रष्टाचार निरोधक संधि के अनुमोदन, जन लोकपाल पर बहस कर पारित करने, द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग के सिफारिशें लागू करने, १००० के नोट बंद करने के मुद्दों पर चर्चा और कारवाही हेतु संसद का विशेष सत्र बुलाया जाये.

अतः श्रीमान से निवेदन है की उपयुक्त मांगों को सम्बंधित विभागों और व्यक्तियों को अग्रसारित करने की कृपा करें.

-ग़ुलाम कुन्दनम,

अध्यक्ष, सर्व धर्म सेवक संघ.

स्वयंसेवक , भारत बनाम भ्रष्टाचार.

कार्यकर्ता सदस्य, भारत स्वाभिमान ट्रस्ट.

ग्राम+ पोस्ट - जमुहार, रोहतास, बिहार - ८२१३०५.

मोबाइल नंबर - +९१ ९९३१०१८३९१.

देश को वर्तमान स्थिति से कोई क़ानून नहीं निकाल सकता, इसके लिए सम्पूर्ण क्रांति की आवश्यकता है जो पूरी व्यवस्था को ही बदल डाले. एक अस्थाई दल की आवश्यकता है जो चुनाव जीत कर संसद में जाते ही सारे दलों की मान्यता समाप्त कर दे, और जरूरी व्यवस्था निम्न दिए लिंक के अनुसार बदल दे. लिंक है :- http://www.facebook.com/note.php?note_id=234298739919325






मैंने आज पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सत्याग्रहियों की उपेक्षा के खिलाफ और सभी सत्याग्रहियों की मांगों के समर्थन में हरिद्वार में हर की पौड़ी पर एक दिन का निर्जल उपवास रखा. शाम ५ बजे पवित्र गंगाजल पान कर ही अपना उपवास तोडा.


स्वामी निगमानंद की क़ुरबानी के बावजूद नेता-अधिकारी-माफिया के सांठ-गाँठ से उत्तराखंड में अवैध खनन अभी भी जारी है. बिहार में भी अवैध खनन हो रहा है और क्रशर मशीनों को प्रदुषण नियंत्रण के सभी उपाए किये बगैर लाइसेंस दिए गए हैं.

मैंने बिहार में भी मुख्यानंत्री कार्यालय, लोकायुक्त, बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग, जिला पदाधिकारी, वन प्रमंडल पदाधिकारी को लिखित आवेदन अपने हाथ से दे चूका हूँ. इन मुद्दों पर जिला कार्यालय और वन प्रमंडल कार्यालय पर उपवास कर भी ध्यान दिलाने का प्रयास कर चूका हूँ, स्वर्गीय स्वामी निगमानंद जी की तरह मैं भी आम इंसान हूँ और मेरे साथ जन समूह की भीड़ नहीं होती, इसलिए सरकारें हमारी मांगों पर ध्यान नहीं देती, सरकार उपवास और सत्याग्रह से नहीं, सत्याग्रह में सामिल होने वाली भिंड से डरती है.

केंद्र में सरकार किसी और पार्टी की है, उतराखंड में किसी और की तथा बिहार में किसी और की पर भ्रष्टाचार और सरकारी व्यवस्था में कोई खास अंतर नहीं है. चुनाव में "इनमे से कोई नहीं" के विकल्प की मांग की जा रही है, पर सरकार या कोई भी राजनितिक दल इसे लाने के लिए तैयार नहीं है, क्योकि तब जनता अंधों में काना राजा चुनने के बजाय सबको नकार देगी. चुनाव सुधार में उमीदवारों के चयन में भी जनता की भागीदारी देने, चुनाव बाद भी प्रतिनिधियों पर जनता का नियंत्रण सुनिश्चित करने, बाद में भ्रष्ट पाए जाने पर प्रतिनिधि को वापस बुलाने जैसे सुधार वर्त्तमान दलों में से कोई करने को तैयार नहीं है. इस स्थिति में हम एक नया अस्थाई दल की सिफारिस करते है जो संसद जाकर इन चुनाव सुधारों को लागू करे. गाँधी जी आज़ादी के बाद कांग्रेस को भंग कर देना चाहते थे, हम सभी राजनितिक दलों को भंग कर देना चाहते हैं. अपना देश विविधता वाला देश है, जिसका फ़ायदा उठा कर दल हमें संप्रदाय, जाती, भाषा और क्षेत्रवाद के आधार पर बाँट कर वोट बैंक बना रहे हैं. चुनाव सुधारों, दलों को भंगकर, राजनीती को लाभ रहित बनाकर हम देश से भ्रष्टाचार, जाती-संप्रदाय-भाषा-क्षेत्र आदि का भेदभाव, आतंकवाद, नक्सलवाद आदि बुराइयां मिटा सकते हैं. नक्सलवाद और आतंकवाद भी राजनितिक महत्वकांक्षा, पद और लाभ के लालच में ही फैलाए जा रहे है, बन्दूक से इनका समाधान नहीं निकाला जा सकता, राजनीती को संच्चा समाजसेवा का दर्जा देकर ही इनका समाधान निकाला जा सकता है. राजनीतिज्ञों की समाधान के प्रति उदासीनता के कारण ही हमारे पुलिश बल और सेना तथा गलत रास्ते पर जा रहे अपने ही देश के नागरिक मारे जा रहे हैं.

भ्रष्टाचार को मिटाने की शुरुआत संसद से ही की जानी चाहिए. निचे का भ्रष्टाचार स्वतः समाप्त हो जायेगा. अन्ना हजारे और बाबा रामदेव दोनों को मुद्दों के आधार पर हम तन-मन-धन से समर्थन और सहयोग देते आ रहे हैं. और पत्राचार द्वारा उन्हें देश हित में साथ साथ काम करने का आग्रह भी करते रहे हैं. देश में एक महासंघ बनाने का प्रस्ताव भी हमने दोनों के पास रखा है, ताकि सुचना अधिकार, जन लोकपाल के क्रियान्वयन में जनता को मदद मिल सके तथा चुनाव सुधारों के लिए भी जनता में सगठन की मदद से प्रचार प्रसार किया जा सके. सबकुछ सरकार के भरोसे छोड़ना भी ठीक नहीं है. अतः यह महासंघ जिसमे व्यक्तिगत सदस्यता तथा संस्थागत सदस्यता दोनों दी जायेगी, समाज सेवा और देश सेवा के क्षेत्र में अपना भरपूर योगदान दे सके.

मैंने आज माँ गंगा और ईश्वर से प्रार्थना की वे हमारे देश वासीयों को शक्ति दें की जयप्रकाश नारायण की सम्पूर्ण क्रांति का सपना पूरा हो सके. उनका आन्दोलन सिर्फ सत्ता परिवर्तन पर अटक गया था, क्योकि उनके चेले सत्ता में उलझकर रह गए थे, व्यवस्था वहीं रह गयी. इस बार हमें वैसे लोगों को आगे लाना है जो सत्ता परिवर्तन के लिए नहीं व्यवस्था परिवर्तन के लिए संसद जाएँ.


इस सम्बन्ध में एक कविता मेरे ब्लॉग पर है लिंक है :-

http://ghulamkundanam.blogspot.com/2011/06/india-in-future.html

इसी रचना का फेसबुक लोंक है :-

http://www.facebook.com/note.php?note_id=234298739919325

जय हिंद.

-ग़ुलाम कुन्दनम,

अध्यक्ष, सर्व धर्म सेवक संघ.

स्वयंसेवक , भारत बनाम भ्रष्टाचार (IAC).

कार्यकर्ता सदस्य, भारत स्वाभिमान ट्रस्ट.

ग्राम+ पोस्ट - जमुहार, रोहतास, बिहार - ८२१३०५.

मोबाइल नंबर - +९१ ९९३१०१८३९१.



Sunday, June 12, 2011

भविष्य का भारत / India in Future/ امیدوں کا بھارت




भविष्य का भारत / India in Future/ امیدوں کا بھارت

kuchh aisaa sonchen ham ki naye bhaarat kaa aagaaz ho,
har Bharatwasi khush ho , har Bhartiye ko naaz ho!

"sarv dharm sevaak sangh" sa ek mahasangh ham bana daleN,
saari swayamsevi sansthaoN ko ek chhat ke niche paaleN.

sarkaari yojana aur kanoon ko jan-jan tak vo laaye,
desh ki janta ko sankat me har tarah ko madad vo de paaye.

suchna adhikaar aur jan lokpal ko janta me le jaaye,
tantra kisi ko paresaan kare to, unki madad vo kar paaye.

nagrik samaj ka bhi sundar, swachchh, sarthak sangthan hoga,
desh ka nagrik, shirf desh ki sarkaar par hi nirbhar n hoga.

desh ka paisa waapas lakar "garibi unmulan kosh" banaayeN,
har amir-garib daan kareN aur is kosh ko aur badhayeN.

garibi aur bhrashtachar apne desh me kahi n dikhe paaye,
har tarah ka bhed mita, bharat ki yuva pidhi aage aaye.

waqt aa gaya hai ek naye dal "Bharat Dal" ka nirman ho,
lohe ko loha kaate, naye dal se dal ke daldal ka naash ho.

"bharat dal" sansad jakar, khud sahit saare dal ko mita daale,
vote bank banane waale, saare nafrat ke khel ko dhul chataa daale.

Rajniti ko labh rahit aur dal rahit banana hi hal hoga,
umidwaaroN ke chayan me bhi janta ki bhagidari har pal hoga.

desh hit ke dushman pratinidhi do, janta waapas bula sake,
har pal janta ke haathoN me, ye loktantrik adhikaar rahe.

labh nahi hone pe apradhi - laalachi khud sansad nahi jayega,
tabhi sanche - deshbhakt -bharatwaasi ka mauka aayega.

sansad se jab prem - tyag - deshbhakti ki dariya nikalegi,
niche ke saare kalush - paap dhulkar, sone ki chidiya nikhregi.

sudharoN ka jab daur chalega, kalyug ka ant ho jayega,
satyug duniya me dhire-dhire, Bharat ke raaste hi aayega....
Bharat ke raaste hi aayega.... Bharat ke raaste hi aayega....

maine apni is chhoti si rachna ke maadhyam se apni yojana ke kuchh bhag aap saboN ke bich rakha huN, in muddoN par rashtriye bahas karakar, hame samadhan ki or bina bilamb kiye aage badhane ke liye kaam shuru kar dena chahiye. aap sabhi bhai bahanoN ke sujhav aamantrit haiN.

कुछ ऐसा सोंचें हम कि नए भारत का आगाज़ हो,
हर भारतवासी खुश हो, हर भारतीय को नाज़ हो!

'सर्व धर्म सेवक संघ' सा एक महासंघ हम बना डालें ,
सारी स्वयंसेवी संस्थाओं को एक छत के निचे पालें ,

सरकारी योजना और क़ानून को जन-जन तक वो लाये,
देश की जनता को संकट में हर तरह की मदद वो दे पाए.

सुचना अधिकार और जन लोकपाल को जनता में ले जाये,
तंत्र किसी को परेसान करे तो, उनकी मदद वो कर पाए.

नागरिक समाज का भी सुन्दर, स्वच्छ, सार्थक संगठन होगा,
देश का नागरिक, शिर्फ़ देश की सरकार पर ही निर्भर न होगा.

देश का पैसा वापस लाकर "गरीबी उन्मूलन कोष" बनायें,
हर आमिर - गरीब दान करें और इस कोष को और बढ़ाएं.

गरीबी और भ्रष्टाचार अपने देश में कही न दिखने पाए,
हर तरह के भेद मिटा, भारत की युवा पीढ़ी आगे आये.

वक्त आ गया है एक नए दल, "भारत दल " का निर्माण हो,
लोहे को लोहा काटे, नए दल से दल के दलदल का नाश हो,

"भारत दल" संसद जाकर, खुद सहित सारे दल को मिटा डाले,
वोट बैंक बनाने वाले, सारे नफरत के खेल को धुल चटा डाले.

राजनीती को लाभ रहित और दल रहित बनाना ही हल होगा,
उमीदवारों के चयन में भी जनता की भागीदारी हर पल होगा.

देश हित के दुश्मन प्रतिनिधि को, जनता वापस बुला सके,
हर पल जनता के हाथों में, ये लोकतान्त्रिक अधिकार रहे .

लाभ नहीं होने पे अपराधी - लालची खुद संसद नहीं जाएगा,
तभी सच्चे - त्यागी - देशभक्त - भारतवासी का मौका आएगा.

संसद से जब प्रेम - त्याग - देशभक्ति की दरिया निकलेगी,
निचे के सारे कलुष पाप धुलकर, सोने की चिड़िया निखरेगी.

सुधारों का जब दौर चलेगा, कलयुग का अंत हो जाएगा,
सतयुग दुनिया में धीरे धीरे, भारत के रास्ते ही आएगा.......
भारत के रास्ते ही आएगा.......भारत के रास्ते ही आएगा.......


मैंने अपनी इस छोटी सी रचना के माध्यम से अपनी योजना के कुछ भाग आप सबों के बिच रखा हूँ, इन मुद्दों पर राष्ट्रीय बहस कर, हमें समाधान की ओर बिना विलंब किये आगे बढ़ने के लिए काम शुरू कर देना चाहिए. आप सभी भाई-बहनों के सुझाव आमंत्रित हैं.


-ग़ुलाम कुन्दनम,

स्वयंसेवक, सर्व धर्म सेवक संघ (All Religions Servant Society) ARSS.

स्वयंसेवक , भारत बनाम भ्रष्टाचार (IAC), रोहतास (सासाराम), बिहार.

कार्यकर्ता सदस्य, भारत स्वाभिमान ट्रस्ट.

Think something new, comes to new India innovation,

Every Indians will be happy, and proud to be the nation.


Associate to a super NGO like “All Religions Servant Society”,

Here joins hands all NGO, for betterment of nation & Society.


It brought to the people every plan and public law,

If People in distress, it give help and be public jaw.


Let the public get and use right of information and “lokpal”,

If system creates problem , than for public, it catch the Ball.


Let civil society has beautiful, clean, meaningful organization,

Citizens will not depend on govt., and will find here solution.


Create "Poverty Alleviation Fund", by bringing back our money,

Every rich and poor people, donate also to complete the journey.


Anywhere in our country, Poverty and corruption will not appear,

Remove differences of all kinds, young generation will come here.


It's time for a new political party, "India Party" to be built fairly,

Iron cuts the iron, the new party will must remove all party surly,


“India Party” will go Parliament, and demolish all with itself,

The politics of vote bank and hate, throw on to the bin shelf,


Party less and profit less politics is correct democratic solution,

In the selection and election both, must fix public participation.


Representatives who against the nation, the public may recall,

every moment in the public hand has such democratic rights all.


Without profit, the greedy corrupt-criminal don’t go to parliament,

Then true - Solitaire - Patriots - Indians will be a chance permanent.


Holy River of love - sacrifice - patriotism will flow from parliament,

All corruption, crime, sin will washed and shine golden bird with scent.


the round of reforms will starts, then the “Kaliyuga” will go away,

The Holy Age “Satyuga” in the world slowly comes as India's way .......

slowly comes as India's way ....... slowly comes as India's way .......


I have written solution and plan for our country, please start a national debate on these issues. All you brothers & sisters are invited to suggest.


-Ghulam Kundanam,

Volunteer, All Religions Servant Society (ARSS).

Volunteer, India Against Corruption, Rohtas (Sasaram), Bihar.

Active Worker, Bharat Swabhiman Trust.


Saturday, March 26, 2011

देश की एकता का सूत्र : नागरी लिपि.

भारत भर की एक लिपि : नागरी

भारत की राष्टीय एकता और पारस्परिक व्यवहार के लिए भारतवासियों ने राष्ट्रभाषा के तौर पे हिन्दी को मान्य किया है. जिन कारणों से 'सबकी बोली' के रूप में हिन्दी स्वीकार हुआ है, उन्हीं कारणों से नागरी का भी 'सबकी लिपि' के तौर पर स्वीकार होना चाहिए.

भारत की एकता के लिए हिन्दी भाषा जितना काम देगी, उससे ज्यादा देवनागरी लिपि काम देगी. एक जमाने में संस्कृत ने जोड़ने का काम किया था, आज हिन्दी भाषा वह काम नहीं कर पा रही है. क्योकि हिन्दीवाले दूसरी भाषा सीखते नहीं और कहते हैं कि दक्षिण वाले हिन्दी सीखें. इसलिए अभी जोड़ने का काम हिन्दी के बदले नागरी लिपि ही ज्यादा कर पायेगी.

आज यूरोप में एक होने की इच्छा जाग रही है. छोटे छोटे देशों का एक कॉमन मार्केट बना है, तो आगे जाकर संरक्षणआदि बातें भी कॉमन हो सकेंगी .

एस भावना को मदद करनेवाली एक कॉमन लिपि, रोमन लिपि वहाँ चलती है, इसलिए वे एक - दुसरे की भाषा कुछ दिनों में सिख सकते हैं.

कुछ लोग अपने यहाँ भी देवनागरी के बजाय रोमन लिपि को कॉमन करने की बात करते हैं. रोमन लिपि में अनेक गुण हैं, परन्तु अनेक दोष भी हैं. उन दोषों से थककर बनार्ड शा ने तो अंग्रेजी के लिए कोई नयी लिपि ढूंढ़ ली जाये ऐसा चाहा था और उसके लिए अपनी संपत्ति का कुछ हिस्सा भी अलग रखा था. उस सन्दर्भ में जो लिपि सुझाई गयी थी , उसका नमूना मुझे 'लन्दन टाइम्स ' में देखने को मिला तो उसमे मैंने पाया कि उसका रोमन के साथ विशेष साम्य नहीं था, बल्कि उसमे नगरी के गुण लाने का प्रयत्न किया गया था, जबकि अपने यहाँ लोग रोमन लिपि सुझा रहे हैं!

-विनोबा भावे कि पुस्तक शिक्षण - विचार से साभार .

उनकी बात सत्य प्रतीत हो रही है यूरोप कि मुद्रा यूरो एक हो चुकी है. मैं भी दक्षिण भारतीये भाषाएँ , बंगला , उर्दू आदि सिखाना चाहता हूँ पर लिपि कि वजह से सीखना मुश्किल लगता है. अंग्रेजी को भी नगरी भाषा में लिखा जाये तो उसे हम आसानी से सिख सकते हैं. मुझे आशा है कि हम अगर अपने राष्ट्र कि लिपि नागरी कर देते हैं और सभी भाषाओँ को नागरी में लिखना शुरू कर देते हैं तो अन्य भाषाएँ सिखाना आसान भी हो जायेगा और राष्ट्रीय एकता का एक सूत्र भी मिल जायेगा . संभव है नागरी लिपि की क्षमता को देखते हुए बाकि दुनिया भी उसे अपनाने की सोंचे, पर पहले पहल हमें ही करनी होगी.

एक सूत्र में बांध सकेगी यह अपनी नागरी लिपि,

अन्य भाषा समुंद्र समा जाएगी ऐसी अपनी सीपी.

सीखना हर बोली आसान बना देगी यह देव नागरी,

उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम सबको मिला देगी ये गगरी.

इंग्लिश मे बी रिटेन इजली इन देव नागरी आल्सो,

उर्दू के अलफ़ाज़ खूबसूरत बोल उठे अल्लाह हो....

आमी बंगला जान जामी जब देवनागरी कोई लिखिन,

पंजाबी मराठी तेलगु तमिल बोलने में लगे कुछ ही दिन.

आप सबों की क्या राय है?

व्हाट इज योर ओपीनियन?

मेरे उपवास एवं आवेदन पर बिहार के मुख्यमंत्री, बिहार मानवाधिकार आयोग और अधिकारीयों की निष्क्रियता.

Ghulam Kundanam

मैं दिनांक 15-03-2011 को वन प्रमंडल, साहाबाद प्रमंडल, सासाराम के समक्ष उपवास पर रहा. मेरी निम्न मांगें थी:-

१. कैमूर पहाड़ी पर अवैध खनन को रोकने एवंम वृक्षारोपण के कार्य के लिए स्थानीय BPL परिवारों को अनुबंधित किया जाये. रखरखाव के लिए भी उन्हें मासिक भत्ता दिया जाये. वन उत्पादों में से भी उन्हें लाभ का हिस्सा दिया जाये एवम उनके लिए शिक्षा - स्वास्थ योजनायें चलाई जाएँ.

२. खनन क्षेत्र एवं क्रशर उद्योग में पर्यावरण संरक्षण तथा प्रदुषण नियंत्रण के सारे उपाय सुनिश्चित करने को कहा जाये, ताकि क्षेत्र के वनों, बागों और वृक्षों को बचाया जा सके, अन्यथा उन विभागों के खिलाफ वन विभाग क़ानूनी कार्यवाही करे .

3. खनन विभाग के खिलाफ पहाड़ी की सीधी कटाई कराने के कारण मुकदमा वन विभाग करे तथा उसे सीढ़ीनुमा बनाने के लिए मुआवजा की मांग करे.

सुबह १० बजे के बाद वन प्रमंडल पदाधिकारी आये और उनहोंने मुझे कार्यालय बुलाया. उन्होंने कहा की प्रदुषण का काम बिहार राज्य प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड देखता है, इसलिए आपकी बात प्रदुषण बोर्ड को लिख दी जाएगी. वन लगाने के लिए कैमूर पहाड़ी क्षेत्र की भूमि BPL परिवारों को आबंटित करने के सम्बन्ध में उनहोंने कहा की ऐसा कोई कानून नहीं है. मैंने कहा की ऐसा प्रस्ताव केंद्र सरकार के वन मंत्रालय को भेजा जाये तो वे नहीं कहते रहे पर बहुत आग्रह करने पर उन्होंने हामी भर दी. उनहोंने कहा की खनन विभाग पर भी मुकदमा किये गए हैं.

मैं बाहर अपने उपवास स्थल पर आया तो कुछ देर बाद कई कर्मचारी मेरे पास आये और कहने लगे की अपना सारा सामान समेटिये और जाइए, साहब ने कहा है. मैंने कहा की मुझसे तो उन्होंने नहीं कहा. इस पर उन लोगों ने खुद ही जबरन मेरे बैनर और स्लोगन वाली तख्तियां उतार दी. गाँधी जी का जो चित्र आप देख रहे हैं उसे मैंने दीवार में लगे तार पे लटकाया था. उसे भी उतार कर निचे उल्टा रख दिया गया. गाँधी जी ने जिनको सत्ता सौपी है, उनके प्रति कुछ अपवाद को छोड़ सरकारी बाबुओं के दिल में ऐसी ही क़द्र है.

मैंने उनलोगों से कहा भी की कम से कम गाँधी जी का तो सम्मान करिये. गाँधी जी के सिधान्तों के अनुरूप मैंने निर्भीकता पूर्वक कह दिया की मैं एक दिन के उपवास का संकल्प लेकर आया हूँ उसे पूरा करूँगा, आप चाहे तो मुझे गिरफ्तार करा सकते हैं. सासाराम क्षेत्र के रेंजर काफी दबाव बना रहे थे. कुछ देर खड़े रहने के बाद सभी कर्मचारी वापस कार्यालय चले गए.

थोड़ी देर बाद DFO साहब ने फिर बुलवाया. कहने लगे आप एक दिन धरना दीजिये या दस दिन कोई फर्क नहीं पड़ता. कुछ धमकाने वाली बात भी बोले. उनहोंने कहा की वन विभाग की ४ एकड़ भूमि पर ही अवैध खनन का कार्य हो रहा है, हमारे पास दुसरे हजारो एकड़ भूमि है, मैं उसे देखूंगा न की ४ एकड़ भूमि के पीछे पड़ा रहूँगा. कुछ सोंचकर शांत होते हुए चपरासी से मुझे पानी पिलाने को कहा, जिसे मैंने शाम से पहले न पिने का निर्णय विनम्रता पूर्वक सुना कर मना कर दिया. उन्होंने शाम तक मुझे उपवास पर बैठने की अनुमति दे दी.

वापस अपने जगह जाने लगा तो एक कर्मचारी ने कहा की आपका सामान ऑफिस में है ले लीजिये. यानि मैं DFO साहब से बात कर रहा था और उधर उनके कर्मचारी मेरा सामान समेट रहे थे. सामन लेकर वापस अपने जगह आया तो पाया की सामान में मेरा बैनर और स्लोगन वाली तख्तियां नहीं हैं. पुन: पूछा तो बताया गया की सासाराम क्षेत्र के अधिकारी अपने आवास ले गए, मांगने पर कहा गया की शाम को मिलेगा, अभी आप ऐसे ही बैठिये. मैं और बापू (चित्र रूप में) बिना बैनर पुन: बैठ गए. ARSS का जो बैनर और तख्तियां वन कर्मचारियों द्वारा उतारी गयी थी उसका चित्र मेरे २ अक्टूबर के नोट में है जिसका लिंक है http://www.facebook.com/photo.php?fbid=174618895916133&set=a.104976256213731.3807.100001040727520

उपरोक्त मांगों और खनन तथा पत्थर उद्योग से से जुड़े मजदूरों और स्थानीय लोगों और जीवों के मानवाधिकार की रक्षा के लिए मैंने बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग और मुख्यमंत्री कार्यालय को आवेदन २८-०९-२०१० को अपने हाथ से दिया था. वही आवेदन जिला पदाधिकारी को देकर मैंने २ अक्टूबर को समाहरणालय, रोहतास, सासाराम के गेट के पास उपवास भी रखा था. पर आज तक मेरे आवेदन पर न तो किसी विभाग ने जवाब दिया न ही कोई कारवाही आगे बढ़ाई गयी.

नेता और अधिकारियों की इस निष्क्रियता का कारण भी भ्रस्टाचार ही है, जब मानवाधिकार आयोग जैसी संस्था निष्क्रिय है तो अन्य विभागों से आपेक्षा करना उंचित नहीं है. इसलिए नेता और अधिकारीयों में भी गलत काम और निष्क्रियता से भय उत्पन करने के लिए जन लोकपाल बिल का पास कराना बिलकुल जरूरी हो गया है. इसके लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए ५ अप्रैल से अन्ना हजारे साहब के आह्वान पर सभी भारतीयों से आग्रह है की आमरण अनशन और गिरफ्तारियां देने के लिए आगे आयें.

अपने देश में व्यक्तिगत भ्रष्टाचार ही नहीं संगठित भ्रस्ताचार भी है. इसका एक छोटा सा उदहारण वन विभाग के कर्मचारियों ने दिखा दिया. संगठित भ्रस्टाचार का भय media को भी है या मीडिया को भी संगठित भ्रष्टाचार Manage करना जानता है. इसका उदहारण भी देखने को मिला. एक कम विस्तार क्षमता वाले अखबार प्रभात खबर के संवादाता को mange या प्रभावित नहीं किया जा सका जिसने हिम्मत दिखाते हुए मेरी मांगों सहित समाचार छापा. हलाकि वन कर्मियों के व्यवहार को छपने से उनहोंने भी परहेज किया. पर यहाँ की दो बड़े अख़बारों के दफ्तर को पूरी सूचना होने और उनके फोटोग्राफ़र द्वारा फोटो दिए जाने के बावजूद समाचार में जगह तक नहीं दी गयी. भ्रष्टाचार का media और न्यायपालिका तक को प्रभावित करना देश के लिए काफी दुखद है.

केंद्र का पैसा गाँव तक, पहुंचे या न पहुंचे.

The dream of India as a strong nation will not be realised without self-reliant, self-sufficient villages, this can be achieved only through social commitment & involvement of the common man." - Anna Hazare

Blog:-

http://annajihazare.blogspot.com/

Web site:-

http://www.annahazare.org/

Anna sahab ke liye ganw ka a bhrastachari chitra.

Panchayti Raj ka Raj पंचायती राज का राज

केंद्र का पैसा गाँव तक, पहुंचे या न पहुंचे,

बिजली-पानी-सड़क-विकास, दबती रहे फाइलों के निचे,

संसद से गाँव की गलीओं तक, कुछ तो आ रहा है,

केंद्र का भ्रस्टाचार, घर - घर पहुँच रहा है आज. केंद्र का भ्रस्टाचार....

ग्राम-सेवक, मुखिया, बी.डी.ओ. साहब राजा से सीखें गुर,

इंदिरा आवास पाने खातिर, गरीब घुस देने को हैं मजबूर,

APL वालों का BPL कार्ड बनवाने वाले, प्रमुख जी हो गए मशहूर,

शराब की दुकान खोल कर गरीबों को, लूट रहा नितीश जी का सुराज. केंद्र का भ्रस्टाचार...

किसान भाई बिजली -पानी को तरस रहे है,

कृषि मेले में अधिकारी -व्यापारी पे नोंट बरस रहे हैं,

ग्रामीण भी हर जगह, खूब ठगे गए हैं,

बैंक प्रबंधक को चढावा देकर हो, कृषि ऋण का काज. केंद्र का भ्रस्टाचार...

वृधा पेंसन में भी, पंचायती राज के पुरोधा हिस्सा पाते,

युवाओं को भी कागज पर वृद्ध बनाते,

विवाहिता को भी विधवा बताकर पैसे दिलवाते,

सुनियोजित पंगु बनाती गाँव में मुफ्तखोरी का समाज. केंद्र का भ्रस्टाचार...

सांसद के चुनाव जैसा ही मुखिया-प्रमुख का चुनाव,

शराब और पैसा बह रहा, डूबे ग्रामीण निश्छलता का नाव,

गावं में भी फ़ैलाने लगे अब भ्रस्टाचार का घाव,

कई राज छुपाये बैठा है पंचायती राज का राज. केंद्र का भ्रस्टाचार...

Kendra ka paisa gawn tak, pahuNche ya na pahuNche,

bijali-pani-sadak-vikas, dabati rahe fileoN ke niche,

sansad se gawn ki galioN tak, kuch to aa raha hai,

Kendra ka bhrstachar, ghar - ghar pahuNch raha hai aaj. Kendra ka ...

Gram-sevak, mukhiya, B.D.O. Sahab Raja se sikheN gur,

Indira aavas paane khatir, garib ghus dene ko hain majboor,

APL waloN ka BPL card banwane wale, pramukh ji ho gaye mashoor,

sarab ki dukan khol kar gariboN ko, loot raha Nitish ji ka suraaj. Kendra ka ...

Kishan bhai bijali -pani ko taras rahe hai,

krishi mele me adhikari -vyapaari pe noNt baras rahe haiN,

gramin bhi har jagah, khub thage gaye haiN,

bank prabandhak ko chadhava dekar ho, Krishi rin ka kaaj. Kendra ka ...

Vridha pensan me bhi, panchayti raj ke purodha hissa paate,

yuvaoN ko bhi kagaj par vridh banate,

vivahita ko bhi vidhva batakar paise dilwate,

suniyojit pangu banati gown me muftkhori ka samaaj. Kendra ka ...

Saansad ke chunav jaisa hi mukhiya-pramukh ka chunav,

sarab aur paisa bah raha, dube gramin nishchhalta ka naav,

gawn me bhi failane lage ab bhrastachar ka ghav,

kai raj chhupaye baitha hai panchayti raj ka raj. Kendra ka ...

चित्र उपरोक्त लिंक से साभार.

Shiv शिव

नफरत और जहर पिने की कला ,

शिव ही हमें सिखा सकते हैं .

रहम और दया सबपर छिडकें ,

वो राह शिव ही बता सकते हैं .

शिव के बारात में तीनो लोकों के ,

सभी योनी के लोग साथ गए हैं ,

दोस्त -दुश्मन सभी को साथ लेकर ,

चलने को शिव सिखा गए हैं .

उंच - नीच का भेद मिटाकर ,

सबको वो अपनाते रहे हैं ,

लोक कल्याण हेतु विष -पान को ,

नशेड़ी उनका नशा कहते हैं ,

जिसका नशा सिर्फ ध्यान रहा हो ,

उसी नशा में शिव जीते हैं ,

नशा को सही ठहराने खातिर ,

लोग शिव का नाम ले पीते हैं .

मीकर बोलें हमसभी आज ,

दयालु -कृपालु शिव की जय ,

संचे गुरु शंकर ही हैं ,

शिखे गुण वो शंकर ही है .

महाशिवरात्रि पर सम्पूर्ण मानवता को बधाई और शुभकामनायें .

Jai Hind!

Jiye Azad Hind Desh, Jai Azad Hind Desh, vaalo Azad Hind Desh(PK+IN+BD).

Om– Onkaar – Allah – God - Om.Sai.Ram - Madre.Watan.Hind - Vande.Matram.

प्रजातांत्रिक सुधार Democratic reform

निचे दिए फाइल को पढ़ें और सुझाव दें देश की राजनिति से अपराधियों, भ्रस्टाचारियों और भाई-भतीजावाद करने वालों को कैसे दूर रखा जा सकता है?

link ko pura * ke baad wala bhag bhi copy kar address bar me likhana padega.

http://api.ning.com/files/GLJxExhM8NomsiBtr6K-HfS3xs5W8r89hRgdRldC5xGAiGbtwoHRxvyWDgSVuP5cFuWjW0LrOLOjna86K*juFW59ERJTwG5j/in.doc

dusre link anya site par bhi hai :- http://www.mediaclubofindia.com/forum/topics/democratic-reform

ya http://ning.it/gHxPxy

लिंक में हुए बातचीत (मेरे वाल पर बाबा रामदेव से सम्बंधित पोस्ट पर भी देखे जा सकते हैं.) से यही निष्कर्ष निकाल पाया हूँ की देश के लोकतंत्र से दलीय व्यवस्था को ख़त्म करना ही पड़ेगा और राजनीती को लाभ रहित बनाना ही पड़ेगा तभी अच्छे लोग राजनीती में आ पाएंगे.

देश तो आज़ाद है, लोकतंत्र अभी भी परतंत्र,

न जाने राजनीती से कब ख़त्म होगा धनतंत्र.

Sare tarah ke bhed-bhav chhodo, pure bharat desh ko jodo,

Desh ki beni toot chuki hai, loktantra ki beni todo.

सारे तरह के भेद -भाव छोडो , पुरे भारत देश को जोड़ो ,

देश की बेणी टूट चुकी है , लोकतंत्र की बेणी तोड़ो .

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Jai Hind!

Jiye Azad Hind Desh, Jai Azad Hind Desh, vaalo Azad Hind Desh(PK+IN+BD).

Om – Onkaar – Allah – God - Om.Sai.Ram - Madre.Watan.Hind - Vande.Matram.

-Ghulam Kundanam.

वेलेनटाइन डे का संच

...

अंजुली भर प्यार से , सारा संसार भर देंगे ,

नफरत को डुबोकर, मुहब्बत का राग भर देंगे .

सारी दुनियां दिल के ही तराने गाएगी ,

हर दिल में 'रहमत ' का सार भर देंगे .

Happy Valentine Day.

Protest for nakedness (nudity), not for valentine day.

प्रेम बांटने का कोई दिन निश्चित नहीं है, हमें हर समय हर पल प्रेम बाँटना चाहिए. दरअसल Velentine डे संत Velentine साहब की जन्म तिथि या पुण्य तिथि है (मुझे स्पस्ट ज्ञात नहीं है, जानकारी थोड़ी भ्रामक है) जैसे हम देवी-देवताओं का, महापुरषों का जन्म दिन या पुन्य तिथि मनाते हैं. उन्होंने प्रेम विवाह करने वालों की हर संभव मदद की थी. उन्हें प्रेम विवाह करने वालों की रक्षा करने, मदद करने में अपनी कुर्बानी भी देनी पड़ी थी. हम सभी को भी जाति , संप्रदाय, भाषा , क्षेत्र का बंधन तोड़कर प्रेम विवाह करने वालों की संकट में रूढ़ीवादी, दकियानुशी, कट्टरवादी सोंच से रक्षा करनी है. यह पर्व हमें यही सिखाता है. यह पर्व हमें नग्नता या सार्वजानिक रूप से प्रेम का भोडा प्रदर्शन करने के लिए नहीं कहता. संच्चे अर्थों में ही इस पर्व को मनाकर और प्रेम विवाह करने वालों की रक्षा कर ही हम उस संत का सम्मान कर सकते हैं.

Youth may remove the caste / community discrepancy from India

There are a social problem of caste and community feelings and hate in our India. Youth may remove this discrepancy from India. There are two ways:-

1. It will be removed by changing names, as they must not contain caste word. It may contain word of more than one language.

2. Youth may marry with other caste or community who will help in your aim, mission and life.

The 1st step is vary easy. For example, I have changed my name as "Ghulam Kundanam" and my spouse name is "Maryam Gurumeet". The names include words of two languages, two regions and have not any caste word. Indian youth are called to change their names for the nation and social change. Come on my friends……….

The 2nd step is to marry with other caste and communities.

It is our social weakness to marry in same caste and community in arrange marriage systems. Parents are thinking badly about love marriage, inter-caste and inter-community marriage. Parents think arrange marriage is best system of married life. Now days it is not happy feelings about arrange marriage. The couple are not adjust with each other, their feeling and thought, their aims and objectives etc. are different, which cause disturbance and quarrel in complete family life. This system is responsible for dowry death, dowry system, which is a big social problem in India.

Here are some example of big personality who marry without and bindings:-

Rash Bihari Bose : - The supper hero of Indian freedom movement married with Tosiko, daughter of the Soma family of Japan who were sympathetic toward Rash Behari's efforts. His spouse helps in his aims to free India.

Netaji Subhash Chandra Bose:- The founder of Azad Hind Fauj was married with his Australian Secretary Emilie Schenkl in December 1937, who was worked with him and helped in his organisation in Vienna.

There are many examples of big personalities and family, who have not bindings with any caste or community like Indira Gandhi family, Haribans Rai Bachan family etc.

Religious facts:- In Ramayana, Raja Janak announced that who will lift up the Bow of Lord Shiva will marry with Sita. There are many persons trying to lift up the bow who was not "Kshatiya". There are many monsters and aliens (Gandharva) also. In Mahabharat marriage of "Dropadi" is depend on shooting in eye of a fish. Many other examples are available in our epics that the marriages are free on caste and communities.

The Kuran not allows to marry with unbeliever (Nastik) only. There is no restriction to marry with believer of God (Allah in the Arabic language).

All religions say, "God is one", "Sabka Malik ek", "Ishwar ek hai". His name is different in different language and place. The caste and social rules are man made things. God/Allah/Ishwar sends the human only at the earth. So, the only one caste decided by The God is Human / Inshan / Manav (Name is different due to different languages).

All religions teaches us mainly two things of Humanity / Inshaniyat / Manavta :-

1. Truth / Satya / Sachai

2. Kindness / Raham / Daya

So, the religion is Humanity / Inshaniyat / Manavta other names used for religions like Hindu, Muslim, Sikh, Christian are name of community not a religion.

So, tells the world that there is only one caste in the world is Human and only one religion is Humanity.