सेवा में,
जिलाधिकारी महोदय,
हरिद्वार, उत्तराखंड.
विषय :- सत्याग्रहियों की उपेक्षा के खिलाफ और सभी सत्याग्रहियों की मांगों के समर्थन में हर की पौड़ी पर एक दिन का निर्जल उपवास के सम्बन्ध में!
महाशय,
नम्र निवेदन यह है की केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा सत्याग्रहियों के गांधीवादी अहिंसक आंदोलनों की उपेक्षा और उत्पीडन मानवीय मूल्यों का दमन और मानवाधिकारों का हनन है. यह हमारे वर्तमान नेताओं की संज्ञाशुन्यता और निष्ठुरता दर्शाती है. जिन सत्याग्रहियों के साथ जन समूह नहीं होता उनकी घोर उपेक्षा की जाती है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है.
मैं केंद्र और राज्य सरकारों से निम्न मांगों के समर्थन में एक दिन का निर्जल उपवास २३-०६-२०११ को पवित्र हर की पौड़ी पर देश हित में प्रार्थना करते हुए अकेले रखूँगा, जो पुर्णतः शांतिपूर्ण और मर्यादित होगा :-
१. स्वामी निगमानंद की पर्यावरण सरक्षण हेतु मांगी गयी मांगे तत्काल मानी जाये.
२. पर्यावरण संरक्षण और प्रदुषण नियंत्रण के सारे उपायों और नियमों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाये.
२. इरोम शर्मिला की सशस्त्र बल विशेषाधिकार क़ानून को हटाए जाने की मांग भी मानवीय आधार पर मानी जानी चाहिए.
३. रामलीला मैदान, नई दिल्ली में सोनिया सरकार द्वारा कराई गयी पुलिस बर्बरता और मानवाधिकारों के उलंघन की जाँच कराई जाये.
४. देश का पैसा वापस लाकर "गरीबी उन्मूलन कोष" की स्थापना की जाये.
५ . संयुक्त राष्ट्र की भ्रष्टाचार निरोधक संधि के अनुमोदन, जन लोकपाल पर बहस कर पारित करने, द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग के सिफारिशें लागू करने, १००० के नोट बंद करने के मुद्दों पर चर्चा और कारवाही हेतु संसद का विशेष सत्र बुलाया जाये.
अतः श्रीमान से निवेदन है की उपयुक्त मांगों को सम्बंधित विभागों और व्यक्तियों को अग्रसारित करने की कृपा करें.
-ग़ुलाम कुन्दनम,
अध्यक्ष, सर्व धर्म सेवक संघ.
स्वयंसेवक , भारत बनाम भ्रष्टाचार.
कार्यकर्ता सदस्य, भारत स्वाभिमान ट्रस्ट.
ग्राम+ पोस्ट - जमुहार, रोहतास, बिहार - ८२१३०५.
मोबाइल नंबर - +९१ ९९३१०१८३९१.
देश को वर्तमान स्थिति से कोई क़ानून नहीं निकाल सकता, इसके लिए सम्पूर्ण क्रांति की आवश्यकता है जो पूरी व्यवस्था को ही बदल डाले. एक अस्थाई दल की आवश्यकता है जो चुनाव जीत कर संसद में जाते ही सारे दलों की मान्यता समाप्त कर दे, और जरूरी व्यवस्था निम्न दिए लिंक के अनुसार बदल दे. लिंक है :- http://www.facebook.com/note.php?note_id=234298739919325
मैंने आज पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सत्याग्रहियों की उपेक्षा के खिलाफ और सभी सत्याग्रहियों की मांगों के समर्थन में हरिद्वार में हर की पौड़ी पर एक दिन का निर्जल उपवास रखा. शाम ५ बजे पवित्र गंगाजल पान कर ही अपना उपवास तोडा.
स्वामी निगमानंद की क़ुरबानी के बावजूद नेता-अधिकारी-माफिया के सांठ-गाँठ से उत्तराखंड में अवैध खनन अभी भी जारी है. बिहार में भी अवैध खनन हो रहा है और क्रशर मशीनों को प्रदुषण नियंत्रण के सभी उपाए किये बगैर लाइसेंस दिए गए हैं.
मैंने बिहार में भी मुख्यानंत्री कार्यालय, लोकायुक्त, बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग, जिला पदाधिकारी, वन प्रमंडल पदाधिकारी को लिखित आवेदन अपने हाथ से दे चूका हूँ. इन मुद्दों पर जिला कार्यालय और वन प्रमंडल कार्यालय पर उपवास कर भी ध्यान दिलाने का प्रयास कर चूका हूँ, स्वर्गीय स्वामी निगमानंद जी की तरह मैं भी आम इंसान हूँ और मेरे साथ जन समूह की भीड़ नहीं होती, इसलिए सरकारें हमारी मांगों पर ध्यान नहीं देती, सरकार उपवास और सत्याग्रह से नहीं, सत्याग्रह में सामिल होने वाली भिंड से डरती है.
केंद्र में सरकार किसी और पार्टी की है, उतराखंड में किसी और की तथा बिहार में किसी और की पर भ्रष्टाचार और सरकारी व्यवस्था में कोई खास अंतर नहीं है. चुनाव में "इनमे से कोई नहीं" के विकल्प की मांग की जा रही है, पर सरकार या कोई भी राजनितिक दल इसे लाने के लिए तैयार नहीं है, क्योकि तब जनता अंधों में काना राजा चुनने के बजाय सबको नकार देगी. चुनाव सुधार में उमीदवारों के चयन में भी जनता की भागीदारी देने, चुनाव बाद भी प्रतिनिधियों पर जनता का नियंत्रण सुनिश्चित करने, बाद में भ्रष्ट पाए जाने पर प्रतिनिधि को वापस बुलाने जैसे सुधार वर्त्तमान दलों में से कोई करने को तैयार नहीं है. इस स्थिति में हम एक नया अस्थाई दल की सिफारिस करते है जो संसद जाकर इन चुनाव सुधारों को लागू करे. गाँधी जी आज़ादी के बाद कांग्रेस को भंग कर देना चाहते थे, हम सभी राजनितिक दलों को भंग कर देना चाहते हैं. अपना देश विविधता वाला देश है, जिसका फ़ायदा उठा कर दल हमें संप्रदाय, जाती, भाषा और क्षेत्रवाद के आधार पर बाँट कर वोट बैंक बना रहे हैं. चुनाव सुधारों, दलों को भंगकर, राजनीती को लाभ रहित बनाकर हम देश से भ्रष्टाचार, जाती-संप्रदाय-भाषा-क्षेत्र आदि का भेदभाव, आतंकवाद, नक्सलवाद आदि बुराइयां मिटा सकते हैं. नक्सलवाद और आतंकवाद भी राजनितिक महत्वकांक्षा, पद और लाभ के लालच में ही फैलाए जा रहे है, बन्दूक से इनका समाधान नहीं निकाला जा सकता, राजनीती को संच्चा समाजसेवा का दर्जा देकर ही इनका समाधान निकाला जा सकता है. राजनीतिज्ञों की समाधान के प्रति उदासीनता के कारण ही हमारे पुलिश बल और सेना तथा गलत रास्ते पर जा रहे अपने ही देश के नागरिक मारे जा रहे हैं.
भ्रष्टाचार को मिटाने की शुरुआत संसद से ही की जानी चाहिए. निचे का भ्रष्टाचार स्वतः समाप्त हो जायेगा. अन्ना हजारे और बाबा रामदेव दोनों को मुद्दों के आधार पर हम तन-मन-धन से समर्थन और सहयोग देते आ रहे हैं. और पत्राचार द्वारा उन्हें देश हित में साथ साथ काम करने का आग्रह भी करते रहे हैं. देश में एक महासंघ बनाने का प्रस्ताव भी हमने दोनों के पास रखा है, ताकि सुचना अधिकार, जन लोकपाल के क्रियान्वयन में जनता को मदद मिल सके तथा चुनाव सुधारों के लिए भी जनता में सगठन की मदद से प्रचार प्रसार किया जा सके. सबकुछ सरकार के भरोसे छोड़ना भी ठीक नहीं है. अतः यह महासंघ जिसमे व्यक्तिगत सदस्यता तथा संस्थागत सदस्यता दोनों दी जायेगी, समाज सेवा और देश सेवा के क्षेत्र में अपना भरपूर योगदान दे सके.
मैंने आज माँ गंगा और ईश्वर से प्रार्थना की वे हमारे देश वासीयों को शक्ति दें की जयप्रकाश नारायण की सम्पूर्ण क्रांति का सपना पूरा हो सके. उनका आन्दोलन सिर्फ सत्ता परिवर्तन पर अटक गया था, क्योकि उनके चेले सत्ता में उलझकर रह गए थे, व्यवस्था वहीं रह गयी. इस बार हमें वैसे लोगों को आगे लाना है जो सत्ता परिवर्तन के लिए नहीं व्यवस्था परिवर्तन के लिए संसद जाएँ.
इस सम्बन्ध में एक कविता मेरे ब्लॉग पर है लिंक है :-
http://ghulamkundanam.blogspot.com/2011/06/india-in-future.html
इसी रचना का फेसबुक लोंक है :-
http://www.facebook.com/note.php?note_id=234298739919325
जय हिंद.
-ग़ुलाम कुन्दनम,
अध्यक्ष, सर्व धर्म सेवक संघ.
स्वयंसेवक , भारत बनाम भ्रष्टाचार (IAC).
कार्यकर्ता सदस्य, भारत स्वाभिमान ट्रस्ट.
ग्राम+ पोस्ट - जमुहार, रोहतास, बिहार - ८२१३०५.
मोबाइल नंबर - +९१ ९९३१०१८३९१.
जय हिंद ! जय गंगे !
ReplyDeleteकाफी सराहनीय प्रयास है..
सफलता जरूर मिलेगी ! हम आपके साथ हैं !
JAI HIND!.... AAP ko SALAAM KAR NE KA DIL KAR RAHA HAI.... JAI HIND ! JAI BHARAT..
ReplyDeleteAditya Bajaj Ji! Krsna Ji! aap sabhi ko bahut bahut dhnyavaad!
ReplyDeleteJai Hind!