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A citizen of a new big country Azad Hind Desh (India + Pakistan + Bangladesh).

Tuesday, August 31, 2010

जाति - धर्म

हमारी एक ही जाति है वह है "मानव / इन्सान / Human" और एक ही मजहब है "मानवता / इंसानियत / Humanity"। हमारे मजहब यानि धर्म में दो ही कर्तव्य निर्धारित हैं "सत्य एवं दया" / "सच्चाई और रहम" /"Truth & Kindness".

-ग़ुलाम कुन्दनम,

सिटिज़न ऑफ़ आजाद हिंद देश

(पाकिस्तान+इंडिया+बंगलादेश)

रिक्सावाला

रिक्सावाला


सब्जी ले मैडम ने रिक्से को आवाज़ लगायी,

चौक का कितना लोगे भाई!

बहन जी! पंद्रह रुपये दे देना,

मैडम बोली,

बारह रूपये ले लेना.

चालक बोला सामान इतनी सारी है,

ऊपर से आपका वजन भी तो भारी है!

मैडम जी का चेहरा तमतमाया,

बेचारा चालक सकपकाया.

चलिए मैडम जी छोड़ देता हूँ!

चौक पहुंचा दिया उसने यूँ.

मैडम बोली,

थोडा आगे मेरा अपार्टमेन्ट आता है,

रिक्शा किलो मीटर अन्दर जाता है.

१० का नोट पकड़ा बोली चेंज नहीं है,

गिडगिडा कर बोला क्या ये सही है.

रिक्सावाला अपनी किस्मत पे रोता है,

मैडम का लिफ्ट आठवीं मंजिल पर होता है।

-ग़ुलाम कुन्दनम,
सिटिज़न ऑफ़ आजाद हिंद देश

(हिन्दुकुश पहाड़ी से हिंद महासागर तक)


Wednesday, August 25, 2010

फेसबुक पर कश्मीरी भाई का सवाल और जबाब

Basit Bhat Its we want want freedom not a particular community al d citizenz of j&k want freedom...

Basit Bhat Ok bhai theek pk +ind+ban z urs tke it just leave our mother land kashmir..is par bhi lenge us par bi lenge azaadi hai haq hamara azaadi........Leave our kashmir just get out or we will just drag u out u ....dy indians

My dear my own brother Basit Bhat,

मान लीजिये एक
गाँव को स्वतंत्र कर दिया जाता है. अब उस गाँव को क्या क्या फायेदे और नूकसान हो सकते हैं सोचिये.

फ़ायदा सिर्फ यह होगा की लोगो को खुशफहमी होगी की वे एक आजाद
गाँव के नागरिक हैं. उनमे से कोई प्रधानमंत्री बनेगा तो कोई राष्ट्रपति बनेगा तो बहुत सारे मंत्री बनेगे.
नुकसान क्या होंगे:-
१. नेताओ के सान सौकत और खर्चो का बोझ नागरिको पर पड़ेगा.
२. नौकरी और रोजगार के लिए दुसरे गांव में जाना मुश्किल होगा.
३. व्यापर के लिए दुसरे
गाँव जाना मुश्किल होगा.
४. दुसरे
गाँव जाने के लिए वीजा तथा पासपोर्ट बनवाने पड़ेंगे .
५. दुसरे
गाँव घूमना फिरना भी लगभग मुश्किल हो जायेगा.
६. हर तरह का सामान एक
गाँव में उपलब्ध नहीं रह सकता अत: आयात निर्यात करने के लिए अधिक कर चुकाना होगा. सम्बन्ध ख़राब होने पर मुश्किल भी होगा.
७. पडोसी गाँव से लड़ाई झगडे की नौबत हमेसा बनी रहेगी. कोई न कोई विवाद होता रहेगा।
८. नदी नालो के लिए अक्सर विवाद होता रहेगा.
९. सीमा पर झड़प होती रहेगी.
१०. पुरे देश से पहले जैसी आर्थिक मदद भी नहीं मेलेगी.
११. पारिवारिक संबंधों के लिए भी दुसरे गांव जाना मुश्किल होगा.
१२. नमाज या पूजा के लिए दुसरे गांव के मंदिर मस्जिद में जाना मुश्किल होगा.
१३. इसके आलावा भी बहुत सारी समस्याएं आ सकती हैं.

आप जिस आज़ादी की बात कर रहे हैं वो आज़ादी सिर्फ ऐसी ही खुशफहमी के लिए है, परेसानी इस गाँव की तरह ही बढ़ जाएगी. आप समुन्द्र को छोड़ कर कुंवे में क्यों रहना चाहते हैं. आप आजाद हिंद देश बनाने की क्यों नहीं सोचते ताकि कश्मीर के सभी हिस्से एक भी हो जाएँ और आपको हिन्दुकुश से हिंदमहासागर तक मुक्त रूप से आने जाने की आज़ादी भी मिल जाये. आज़ादी इसे कहते हैं.

बाकी भारतीयों को गली देने या भागने की बात आप करते हैं. सभी भारतीयों के खून पसीने की कमाई का पैसा कश्मीर के विकास में लगा हैं. कई गरीब राज्यों से कई गुना ज्यादा पैसा कश्मीर में लगाया जाता है. बाकी भारतीयों को कौन से अधिकार आपसे ज्यादा दिए गए हैं कहाँ पर आपके साथ भेद भाव किया जाता है. आपको बाकी भारतीयों से ज्यादा ही अधिकार दिए गए हैं.

आप कहते हैं की सेना अत्याचार करती है पर सेना को बुलाने की नौबत ही क्यों आई. हमारे कश्मीरी भाइयों में भी कुछ हिंसा करते हैं बुरे विचार रखते हैं तभी तो कश्मीरी पंडितों को कश्मीर छोड़ना पड़ा था. सेना में भी सभी इन्सान अच्छे ही होंगे इसकी कोई गारंटी नहीं दे सकता. लेकिन सेना पर पत्थर मारे जायेंगे तो उनके हाथ में फुल तो है नहीं की वे फुल बरसायेगे उनके पास तो गोली है जाहिर है वे गोली ही बरसायेगे. बच्चो की मौत के लिए वहाँ के नेता जिम्मेवार हैं जो अपनी सियासत की रोटी पकाने के लिए बच्चो का इस्तेमाल कर रहे हैं उनसे पत्थर फेकवा रहे हैं या उकसा रहे हैं.

सेना अपदाओ के समय कश्मीर में कितिनी मदद करती है और की है उसको नजरंदाज करना आपकी एकतरफा सोच को उजागर करता है.

सेना, पुलिस, उग्रवादी, और कश्मीर की जनता सभी हमारे भाई बहन हैं. उनमे से किसी एक की भी मौत हमें दुःख पहुंचती है. कश्मीर में होने वाली हिंसा के पीछे किसी सैतानी दिमाग का साया है जो वहाँ की हर मौत पर खुश होता है और नमक मिर्च लगा कर दुनिया को बताया है. जाहिर है यह सब पाकिस्तान के नेता और एजेंसी करा रही है जिसे कश्मीरी जनता समझ नहीं पा रही है.

मुझे याद है कई बर्षो पहले अपने सिख बंधू पाकिस्तान में तीर्थ करने जाते थे. उन्हें वहाँ भड़काया गया था की आप लोग अलग खालिस्तान क्यों नहीं बना लेते. उनमे से कई को प्रशिक्षण दिया गया गोला बारूद तथा कई तरह से मदद की गयी. कुछ सिख भाई झासे में आ गए और आपकी तरह आज़ादी की खुशफहमी पाल बैठे. कुछ उग्रवादी बन गए, भींड्रावाले को राजनितिक लाभ के लिए सुरु में कांग्रेस ने भी परोक्ष रूप से बढ़ावा दिया. कश्मीरी पंडितो की तरह हजारो हिन्दुओ को परेसान किया गया, मारा गया, माँ बहनों के साथ दुर्व्यवहार किया गया. उस हिंसा में कई हिन्दू सिख माँ-बहनों की गोद सुनी होई कई के सुहाग उजड़ गए. इंदिरा गाँधी की हत्या हुई फलस्वरूप दंगे हुए. सिख पुरे भारत में आज़ादी से घूमते हैं और रोजगार व्यापार करते हैं. वो तो इश्वर/अल्लाह/गुरु की कृपा हुई की हमारे सिख बंधू समझ गए की जिस आज़ादी की बात वे सोच रहे हैं वह तो गुलामी होगी. उन्हें पुरे भारत में फैले अपने लोगो का रोजगार और सम्पति को खोना होगा. पर बात समझ में आते आते बहुत सारे हिन्दू-सिख भाइयों की जान चली गयी, माँ बहनों की गोद सुनी हुई, मांग उजड़ गए, इज्जत लुट गयी. अब उन्हें याद कर के हम सिहर उठते हैं।

पर हमारे कश्मीरी भाई अभी भी उस खुशफहमी के सहारे जी रहे हैं. पाकिस्तानी नेताओ और एजेन्सियो की चाल और जाल में फसे हुवे हैं . पता नहीं खुदा कब रहम करेगा और हमें सदबुद्धि देगा. कश्मीर में पंजाब से ज्यादा खून बह चूका है आगे कबतक बहता रहेगा आपके विचार से तो कहना मुश्किल है।

पाकिस्तान के नेता बंगलादेश के बनने से खार खाए हुए हैं. वे अलग खालिस्तान या कश्मीर बना कर इंदिरा गाँधी का बदला लेना चाहते हैं. बंगलादेश में पाकिस्तान लुट रहा था उनके साथ सौउतेला व्यावहार कर रह था. आज भी बंगलादेशी शर्णार्थियो की समस्या आती रहती है. आप जिस तरह के एकतरफा आरोप लगा रहे है वैसा वहाँ सचमुच हो रह था जिसके कारण भारत को बंगलादेशियो की मदद करनी पड़ीं थी. जबकि कश्मीर में ऐसा नहीं है, यहाँ बाकि भारतीयों से भी ज्यादा अधिकार दिए गए हैं. कई गरीब राज्यों से अधिक पैसे केंद्र सरकार यहाँ देती है.
पाकिस्तानी जनता में भारत के विरोध का जहर वहाँ के नेता घोलते रहते हैं तभी वहाँ सरकार बना पते हैं. नमूने के तौर पे आप मेरे नोट में लिखे गए पाकिस्तान की मारिया बहन के साथ की बातचीत के अंश पढ़ सकते हैं. जिस दिन भारत विरोध की राजनीती वे बंद कर देंगे जनता का ध्यान भारत के विकास की ओर जायेगा और जनता नेतावों से सवाल कर बैठेगी हमें बटवारे से क्या मिला गरीबी, बेरोजगारी और कर्ज. अमेरिका के टुकड़ों पर कब तक पलते रहेंगे? वो दिन दूर नहीं है जब हमारी पाकिस्तीनी जनता भी "आजाद हिंद देश" बनाने की सोच मेरी तरह पाल बैठेगी।
मैं आपसे भाई होने के नाते कश्मीर की आज़ादी रूपी गुलामी की बच्चो वाली जिद छोड़ देने और पाकिस्तानी नेतावो और एजेन्सियो की चाल का पर्दाफाश करने का आग्रह करता हूँ . पाकिस्तानी जनता को भी बताएं की बटवारे से सिर्फ नेतावो को लाभ हुआ है जनता को तो अपना खून ही बहाना पड़ा है. बटवारे के समय लाखो हिदू-मुस्लिम सीमा पार कर भागे थे उनके जान मॉल का कितना नुकसान हुआ था. १९४७ का बटवारा भी प्रधानमंत्री के पोस्ट के लिए किया गया था यह बात किसी पाकिस्तानी या हिदुस्तानी से छिपी नहीं है.
अब आपके जैसे भाइयों के हाथ में ही है की कश्मीर में अभी भी खून बहता रहेगा या सिख
भाइयों की तरह पंजाब वाली शान्ति आ जाएगी . हमें तोड़ने के बजाय जोड़ने के विषय में सोचना होगा. जब सानिया-शोएब एक हो सकते हैं तो पाकिस्तान, भारत, बंगलादेश क्यों नहीं? जब बर्लिन की दिवार टूट सकती है तो पाकिस्तान, भारत, बंगलादेश , पाकिस्तानी कश्मीर , जम्मू-कश्मीर के बीच बाड़ क्यों नहीं?

ग़ुलाम कुन्दनम,
सिटिज़न ऑफ़ आजाद हिंद देश (हिन्दुकुश पहाड़ी से हिंद महासागर तक)

पीयक्कड़

कुछ लोग गम में पीते हैं तो कुछ लोग गम ही पीते हैं;

कुछ लोग ख़ुशी में पी कर मस्त होते हैं तो कुछ लोग ख़ुशी में ही मस्त हो जाया करते हैं;

कुछ लोग पी कर दिवाना होते हैं तो कुछ लोग दिल से दिवाने होते हैं.

मैं खास दर्जे का पीयक्कड़ हूँ और आपको भी आमंत्रित करता हूँ.


- ग़ुलाम कुन्दनम
सिटिज़न ऑफ़ आजाद हिंद देश (पाकिस्तान + इंडिया + बंगलादेश)

Tuesday, August 24, 2010

मंदिर मस्जिद विवाद का हल

मंदिर मस्जिद विवाद का हल वही सूफी, संत, फ़कीर मिलकर निकल सकते हैं जिनका
सियासत और पैसों से कोई मतलब नहीं हो, जिनका कोई बैंक अकाउंट नहीं हो, जो
अल्लाह - इश्वर के करीब हों, जिनमें कबीर जैसी स्पस्टवादिता हो, निडर हों,
समाधान दोनों सम्प्रदायों के लिए सम्मानजनक हों, और सबसे अहम बात यह हों कि
वहाँ के मूल निवासियों के हित में हो. हमें मिलकर ऐसे सूफी, संत, फ़कीर
लोगों की तलास करनी चाहिए.

-ग़ुलाम कुन्दनम,
सिटिज़न ऑफ़ आजाद हिंद देश (पाकिस्तान+इंडिया+बंगलादेश)

थोड़ी कम थी अकल

चाँद सा सफ़ेद था तेरा मुखड़ा ,
चरणों में डाल दिया तुने दिल का टुकड़ा।

मेरे रास्ते के काँटों पर खुद ही बिछ जाती थी,
मेरे खातिर तुम कितना दुःख पाती थी।

पागल थी वो मुझे समझती थी अपना नाथ,
जहाँ भी जाऊ नहीं छोडती थी मेरा साथ।

उसने मेरा साथ निभाया मर-मर के,
पर उसपे मैं तो रहा बोझ बन कर के ।

तुम्हारे मोहब्बत की थी न कोई सानी,
मेरे ख़ातिर तुमने दे दी अपनी क़ुरबानी।

सब कुछ ठीक था पर थोड़ी कम थी अकल,
ओह कितनी प्यारी थी वो मेरी चप्पल।

-ग़ुलाम कुन्दनम,
सिटिज़न ऑफ़ आजाद हिंद देश (पाकिस्तान+इंडिया+बंगलादेश)
(मेरे किशोरावस्था की एक कविता)

Monday, August 16, 2010

Azad Hind Desh hamara hai.

saitan to patthar ka boot ban gaya hai ,
insan hi haivan kaa doot ban gaya hai.

yahan patthar saitan par nahi insano pe mare jate hain ,
phir bhi ham Khuda ke nek bando men hi jane jate hain.

hame aman men nind nahi aati phsad hi bhata hai,
insanon pe joote, Kuran ke kis aayat men aata hai ?

band aur hadatal kar vatan ka gardan aithe hain ,
majahab, jamat aur jat ka thekedar ban baithe hain.

sabr karo saitano janata abhi soee hai,
nind ke karan tumhare bahakave men khoee hai.

kisi se kahalvalo Balochistan hamara hai,
to kisi se kahalvalo Kashmir hamara hai,

jab hunkar kar janata nind se jag jayegi,
tumhari sari hekadi phir bhag jayegi.

Hindukush se Hind Mahasagar tak hamara hai,
bol uthegi "Ajad Hind Desh" hamara hai,
"Ajad Hind Desh" hamara hai, "Ajad Hind Desh" hamara hai.

- Ghulam Kundanam
Citizen of Azad Hind Desh (Pakistan + India + Bangladesh)








"आजाद हिंद देश" हमारा है.

सैतान तो पत्थर का बूत बन गया है ,
इन्सान ही हैवान का दूत बन गया है

यहाँ पत्थर सैतान पर नहीं इन्सानों पे मारे जाते हैं ,
फिर भी हम खुदा के नेक बन्दों में ही जाने जाते हैं

हमें अमन में नींद नहीं आती फ़साद ही भाता है,
इंसानों पे जूते, कुरान के किस आयत में आता है ?

बंद और हड़ताल कर वतन का गर्दन ऐठे हैं ,
मजहब, जमात और जात का ठेकेदार बन बैठे हैं

सब्र करो सैतानों जनता अभी सोई है,
नींद के कारण तुम्हारे बहकावे में खोई है

किसी से कहलवालो बलूचिस्तान हमारा है,
तो किसी से कहलवालो कश्मीर हमारा है,

जब हुंकार कर जनता नींद से जाग जाएगी,
तुम्हारी सारी हेकड़ी फिर भाग जाएगी

हिन्दुकुश से हिंद महासागर तक हमारा है,
बोल उठेगी "आजाद हिंद देश" हमारा है, "आजाद हिंद देश" हमारा है, "आजाद हिंद देश" हमारा है

- ग़ुलाम कुन्दनम,
सीटिजन ऑफ़ आजाद हिंद देश (पाकिस्तान+इंडिया+बंगलादेश)









Sunday, August 15, 2010

ये करप्सन का खेल बहुत ही पुराना है,
इसे नेताओ ने आज़ादी के पहले से ही ठाना है.

लुटने के खातिर ही तो देश को तिन टुकरो में बाट दिया,
विदेशी बैंकों में न जाने कितने रुपये गांठ लिया.

हमारे पाकिस्तानी नेता बंधू तो विदेशो में ही रहते हैं,
मैयतें निकालनी होती है तो देश में कदम रखते हैं.

लहू और इज्जत तो जनता की जाती है,
नेताओ के पास मॉल की गठरी आती है.

अभी भी वक्त है सारे नेताओ को पहचान लो,
"आजाद हिंद देश" फिर से बनाने की ठान लो.

अगर हम नहीं चेते तो नेता हमें चाट जायेगे,
जाती, संप्रदाय, भाषा के नाम पर बाट खायेगे.

भुला दो उन सभी घ्रिणा को जो उनने फैलाई है,
हिन्दुकुश से हिंद महासागर तक हर कोई भाई है.

- ग़ुलाम कुन्दनम,
सीटिजन ऑफ़ आजाद हिंद देश (पाकिस्तान+इंडिया+बंगलादेश)

ye corruption ka khel bahut hi purana hai,
ese netao ne azadi ke pahle se hi thana hai.

lutne ke khatir hi to desh ko tin tukro me bat diya,
videshi banko me na jane kitne rupaye ganth liya.

hamare pakistani neta bandhu to videsho me hi rahate hain,
maiyaten nikalni hoti hai to desh me kadam rakhte hain.

lahu aur ijjat to janta ki jati hai,
netao ke pas mal ki gathri aati hai.

abhi bhi wakt hai sare netao ko pahchan lo,
"Azad Hind Desh" fir se Banane ki than lo.

agar ham nahi chete to neta hame chat jayege,
jati, sampraday, bhasha ke nam par bat khayege.

bhula do un sabhi ghrina ko jo unane failai hai,
Hindukush se Hind mahasagar tak har koi bhai hai.

- Ghulam Kundanam,
Citizen of Azad Hind Desh (Pakistan+India+Bangladesh)

Thursday, August 12, 2010

Messenger of Hazarat Muhammad Sahab!

I am messenger of Hazrat Muhammad Sahab, Allah send me to earth to spread their main aim "Sachai" and "Raham" which is "Inshaniyat" ; the only one "Majhab" for human beings; All other things may changed in the light of Inshaniyat. Any other things written in any books may be changed when it not follow the supreme aim of Allah "Sachai" and "Raham".

Ghulam Kundanam,

Citizen of Azad Hind (IN+PK+BD)

Email : Ghulam.kundanam@gmail.com

Blog - http://www.ghulamkundanam.blogspot.com/

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