ये करप्सन का खेल बहुत ही पुराना है,
इसे नेताओ ने आज़ादी के पहले से ही
लुटने के खातिर ही तो देश को तिन टुकरो में बाट दिया,
विदेशी बैंकों में न जाने कितने रुपये गांठ लिया.
हमारे पाकिस्तानी नेता बंधू तो विदेशो में ही रहते हैं,
मैयतें निकालनी होती है तो देश में कदम रखते हैं.
लहू और इज्जत तो जनता की जाती है,
नेताओ के पास मॉल की गठरी आती है.
अभी भी वक्त है सारे नेताओ को पहचान लो,
"आजाद हिंद देश" फिर से बनाने की ठान लो.
अगर हम नहीं चेते तो नेता हमें चाट जायेगे,
जाती, संप्रदाय, भाषा के नाम पर बाट खायेगे.
भुला दो उन सभी घ्रिणा को जो उनने फैलाई है,
हिन्दुकुश से हिंद महासागर तक हर कोई भाई है.
- ग़ुलाम कुन्दनम,
सीटिजन ऑफ़ आजाद हिंद देश (
Sunday, August 15, 2010
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