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Saturday, May 15, 2010

Comments for Sri Amitabh Bachchan.

आदरनीय अमित चा !

आपकी प्रेम की भाषा पढ़
पंडित बन जाये हर कोई .

आपके भेजे फुल की मुस्कान पर
मुस्कुराये वो जिसने गम ढोई .

प्रेम की गंगा सुख रही है
मानवता घुट घुट कर रोई .


देश की हर कली हर दिल मुस्कुरा दे
दो बूंद प्रेम की डाले हर कोई .

- गुलाम
कुन्दनम
सिटिज़न ऑफ़ इंडिया.

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