Comments for Sri Amitabh Bachchan.
आदरनीय अमित चा !
आपकी प्रेम की भाषा पढ़
पंडित बन जाये हर कोई .
आपके भेजे फुल की मुस्कान पर
मुस्कुराये वो जिसने गम ढोई .
प्रेम की गंगा सुख रही है
मानवता घुट घुट कर रोई .
देश की हर कली हर दिल मुस्कुरा दे
दो बूंद प्रेम की डाले हर कोई .
- गुलाम कुन्दनम
सिटिज़न ऑफ़ इंडिया.
Saturday, May 15, 2010
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