नमस्ते सर,
प्राचीन समय में राजा भेष बदल कर प्रजा का दुःख दर्द समझा करते थे, आपकी विश्वास यात्रा भी कुछ ऐसी ही है । इस तरह की यात्रा चुनाव बाद भी चलती रहे तो हमारे प्रजातंत्र में और चमक आ जाएगी । हमारा प्रजातंत्र , पार्टी आधारित चुनाव के अनुकूल नहीं है , अपने देश में जितने भी भेदभाव है , इसी कारण है । व्यक्ति आधारित प्रजातंत्र के विषय में सोचना होगा । इसके लिय मैं एक नारा देना चाहूँगा : -
सारे तरह के भेदभाव छोड़ो ,
~ पुरे भारत देश को जोड़ो !
देश की बेणी टूट चुकी है ,
~ लोकतंत्र की बेणी तोड़ो!
मैं पूर्व में भी कुछ सुझाव इ-मेल तथा ब्लॉग पर भेज चूका हूँ , उस पर भी आपकी प्रतिक्रिया चाहता हूँ ।
- गुलाम कुन्दनम
सिटिज़न ऑफ़ इंडिया.
(A Bihari also)
Blog - ghulamkundanam.blogspot.com
email –ghulam.kundanam@gmail.com
Sunday, July 4, 2010
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